महेश कुशवंश

26 जनवरी 2014

अभिनन्दन गणतंत्र दिवस


तनी मुठियों की विभीषिका
सपनों की व्यापक मरीचिका
मानव की संवेदना विवस
अभिनन्दन गणतंत्र दिवस
पैसठ के तुम हुए  जनाब
सीनियर सिटीजन जैसा ताब
युवा ह्रदय से नहीं रहे अब
नहीं रहे , जैसे थे  तब 
निचुड़ गया सब जीवन रस
अभिनन्दन गणतंत्र दिवस
राजपथ पर भव्य परेड
राजाओं सा सुन्दर भेष
सैन्य शक्ति से भींचे मुट्ठी
देते हो किसको सन्देश
विस्वप्रेम का भूले यश
अभिनन्दन गणतंत्र दिवस
अमर रहेगा देश
अमर है भारतवासी
विस्वबंधु सा प्रेम
हों कोई भाषा-भाषी
तिरंगे का फैला है यश
अभिनन्दन गणतंत्र दिवस

4 टिप्‍पणियां:

  1. अभिनन्दन गणतंत्र दिवस.....हार्दिक शुभकामना ....

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  2. अमर है भारतवासी
    विस्वबंधु सा प्रेम
    हों कोई भाषा-भाषी
    तिरंगे का फैला है यश

    ...अभिनन्दन अभिनन्दन
    गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    संजय भास्कर


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  3. सुन्दर प्रस्तुति ! गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं !

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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