महेश कुशवंश

14 जून 2016

फादर्स डे के बाद का दिन



आज फिर नींद नही आई
पता नहीं क्यो
ऐसे तो नींद  हर रात मे  बड़ी मुश्किल से आती है
यहाँ से वहाँ
चहलकदमी करता मैं
मुड़कर वापस बिस्तर को देखता हूँ
तो नेपथ्य से गूँजती है
अजीब सी  आवाज़
शायद सो गई है वो
अभी तो खाना खाया था साथ मे
इतनी जल्दी
कैसे सो जाती है वो
क्या कुछ भी नहीं चलता उसके मस्तिस्क मे
जो उड़ा डे नींद
बिस्तर पर लेटकर भी छत देखने की बेचैनी
मेरे हिस्से मे ही क्यों
जागती आँखों मे गोल गोल घूमते  अनुत्तरित प्रश्न
बिस्तर को और कठोर बना देते है
कमर के दर्द मे तो
कठोर बिस्तर मे ही आराम मिलता है
डाक्टर ने बताया था
अब तो ये और भी कठोर हो गया है
पीठ से भी ज्यादा
डाक्टर ने तो ये भी कहा था तनाव मत लेना
?????
वहा,
वो, कमरा,
जो बंद है
बेटे का है
वो उस कोने मे ,
बेटी का भी है जादुयी  कमरा
मैं बेटे बेटी को याद करने लगता हूँ
नींद नहीं आ रही तो क्या करूँ ......
मैं कुछ पल पहले के खाने के द्वंद  की सोचने लगता हू
आज खिचड़ी ही खा लो
कुछ बन नहीं रहा
हाथ पैर ही नहीं उठ रहे
लौकी, तरोई टिंडे , बैगन  और  ये खिचड़ी
मन  न होने पर भी अच्छी लगती है,
खिचड़ी न जाने कब की हजम हो गई
भूख लगने लगी तो याद  आने लगा अतीत
मैंने तो कहा था आज समोसा खाने का मन है
तुमने खिचड़ी बना दी
तुम भी हद करते हो
समोसे हजम कर पाओगे
खिचड़ी खाओ , और सो जाओ
कल कुछ अच्छा बनाऊँगी ......
कल दिवाली है क्या ....?
मैं किससे पूछ रहा हू , कौन जाग रहा है मुझे सुनने
कैसे नींद आ जाती है तुम्हें
मैं याद करने लगता हूँ
कल मॉर्निंग वॉक मे गुप्ता जी
छिपा कर पकौड़ी लाये थे
उन्होने दोस्तों के लिए रात मे छिपा कर रख ली थी
समोसे बन जाते तो दोस्तों को खिलाता
पूरे दिन मे बस मॉर्निंग वॉक  हृदय झकझोर देता है
मिसेज गुप्ता पर चटकारे लेकर बात करते है दयाल साहब
अपने सह प्रोफ़ेसर को भूल जाते है
और बरसों की भाभी जी  माडल बन जाती है
और भाभी जी भी
इतनी सुबह सुबह
इतनी करीने  से सजी धजी
मॉर्निंग वॉक कभी मिस नहीं होने देती
जिससे बात कर ले , वो ईर्ष्या का पात्र तो बनता ही है
रोज देर से लौटने का ताना भी अच्छा लगता है
चौबीस घंटे मे बस
मॉर्निंग वाक मे योवन  लौट आता है
जो पूरे दिन , होर्लिक्स बना रहता है
चलो  फादर्स डे , आने वाला है
पिता होने का गर्व , याद आ जाएगा
लैपटाप पर,स्काइप मे बच्चे दिखेंगे
दादू कहेंगे , कम्पुटर मे लिपटेंगे तो
आँखों मे पानी भर जाएंगा
सुबह सब मित्र रूमाल लेके आएंगे
और फादर्स डे की कहानी
अपने तरीके से सुनाएँगे
मिसेज गुप्ता भी दुपट्टे से आसू पोछती नज़र आएंगी
और फादर्स डे भी मदर्स डे हो जाएगा
फादर्स डे के बाद का दिन बेहद , भारी हो जाता है
टनों भारी ....

-कुशवंश




29 टिप्‍पणियां:

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  2. बहुत अच्छी कविता, दिल को छू गई।

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  4. आपकी कविता बहुत ही सुंदर है। इस कविता के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  5. बहुत अच्छा लेख है Movie4me you share a useful information.

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  6. ek pita ka dard,bahut hi salaahiyat se ukera hai,dhanyavad

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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