हम कितने भूंखे है
हमारी भूंख को
कौन सा सोपान चाहिए
इस भूंख को
क्या नाम चाहिए
सुख
सत्ता
सम्रधता
या फिर कुछ और
सड़कों पर मीलों तक बिखरे पड़े
मानव शरीर के चीथड़े,
फुहार बनकर
रक्त के छीटों से सनी दीवारें
न जाने कितनों के मुह पर
इन बेजुबानों के रक्त के छींटे
बिखरे हैं
साईकिल के कल पुर्जों से तितर बितर
और समेटने को
लटके मुह लिए
आंशुओं से परिपूरित कई राजनीतिक पार्टियाँ
मानवाधिकार की बात करते
खंडित चेहरे लिए समाज सेवी
हमें और कितना रक्त रंजित करेंगे
कौन सज्ञान लेगा
कोई रक्त उबलेगा क्या ?
रक्त पर कितनी हांडियां और चढ़ेगी
और कब तक
यूं ही बिखरेंगी संवेदनाये
करुण क्रंदन से बहरे हुए कानों में
कब तक पड़ा रहेगा पिघला शीसा
कब तक ..
न जाने कब तक ..
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शनिवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंन जाने कब तक ये सब होता रहेगा ... मार्मिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंभावनात्मक प्रस्तुति .सही आज़ादी की इनमे थोड़ी अक्ल भर दे . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएंइसका अंत करने के लिये जन-जन को सक्रिय होना पड़ेगा!
जवाब देंहटाएंमार्मिक भावनात्मक प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंबेहद मार्मिक रचना...
जवाब देंहटाएंdardnaaak... :)
जवाब देंहटाएंye ghatnayen kab rukegi...
आज की ब्लॉग बुलेटिन ऐसे ऐसे कैसे कैसे !!! मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंजाने कब तक झेलेंगे ये सब हम...
जवाब देंहटाएंकल २४/०२/२०१३ को आपकी यह पोस्ट Bulletin of Blog पर लिंक की गयी हैं | आपके सुझावों का स्वागत है | धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति | आभार
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंनीरज'नीर'
पता नहीं कब तक?
जवाब देंहटाएंभावात्मक एवं मार्मिक प्रस्तुतीकरण,आभार.
जवाब देंहटाएंमौनी बाबा मौन हैं, इन्तेजार, इन्तेजार, इन्तेजार !!!
जवाब देंहटाएंlatest postमेरे विचार मेरी अनुभूति: मेरी और उनकी बातें
सुन्दर अभिव्यक्ति। आप जैसे लोगो के कारण ही ब्लॉग को अभिव्यक्ति के सशक्त मंच का दर्जा प्राप्त हुआ है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंनया लेख :- पुण्यतिथि : पं . अमृतलाल नागर