ले तो आये हो हमें
सपनो के गाव में
प्यार को छाव में
बिठाये रखना
सजना
ओ सजना
सपनों में तेरे तैरते तैरते
सूखी नदी हो गयी
सारी कायनात
और मैं
हाथ में भरते भरते
बालू के कण
न जाने कब से
पानी की आस देखती रही
न जाने कितने रेत के महल
बने भी
उजड़े भी
न रहा आस पास
कोई गाँव
न रही सजना की
प्यार की छाव
एक दसक रही अभागी
बड़े, छोटे
अंदरी, बाहरी
नातेदार, आने जानेवाले
सभी के बेरहम ताने
घाव से चिपकते रहे रिश्ते नाते
जीती रही इस आस में
कभी तो सुबह होगी
और सूरज
मुझे भी रोशनी छूने देगा
बारिश मेहरबान हुयी
भिगो गयी तन मन
मेरे रक्त के कतरे
अब और नहीं रिसने देंगे
मेरे जख्मों को
छूकर
सहलाकर
सारी पीड़ा आत्मसात्कर
मुझे
ले जायेंगे
सपनों के गाव
बिछायेंगे प्यार की छाव
घटाओं से झांकता सूरज
रोशनी नहीं छिपा सकता
मुझसे अब और दूर नहीं रह सकती
चांदनी
अब इस उम्मीद के सिवा
और कोई रास्ता भी तो नहीं
शायद अब
शिकायत करने का
न घर बचा
न समय .
-कुश्वंश
वाह...
जवाब देंहटाएंएक गाने से पूरी रचना का सृजन.....
सुन्दर!!!
सादर
अनु
बहुत अच्छी भावाव्यक्ति , बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द चयन और अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर भाव... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंशायद अब
जवाब देंहटाएंशिकायत करने का
न घर बचा
न समय ....
Yes, probably true...
.
ानुभूतियों का सुन्दर संसार।
जवाब देंहटाएंशिकायत भी करें तो किससे ? सुनने के लिए वक़्त ही कहाँ है किसी के पास .... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कुश्वंश जी ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar srijan,badhai.
जवाब देंहटाएंप्रिय महोदय
"श्रम साधना "स्मारिका के सफल प्रकाशन के बाद
हम ला रहे हैं .....
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इस दस्तावेज में देश भर के चर्तित राजनेताओं ,ख्यातिनामा लेखकों, विद्वानों के लेख आमंत्रित किये गए है / स्मारिका का आकार ए -फोर (11गुणे 9 इंच ) होगा तथा प्रष्टों की संख्या 600 के आस-पास / इस अप्रतिम, अभिनव अभियान के साझीदार आप भी हो सकते हैं / विषयानुकूल लेख, रचनाएँ भेजें तथा साथ में प्रकाशन अनुमति , अपना पूरा पता एवं चित्र भी / विषय सामग्री केवल हिन्दी , उर्दू अंगरेजी भाषा में ही स्वीकार की जायेगी / लेख हमें हर हालत में 10 सितम्बर 2012 तक प्राप्त हो जाने चाहिए ताकि उन्हें यथोचित स्थान दिया जा सके /
हमारा पता -
जर्नलिस्ट्स , मीडिया एंड राइटर्स वेलफेयर एसोसिएशन
19/ 256 इंदिरा नगर , लखनऊ -226016
ई-मेल : journalistsindia@gmail.com
मोबाइल 09455038215
सुन्दर अभिव्यक्ति ......
जवाब देंहटाएं. कविता बढ़िया बनी है... मन को छूती हुई
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं. मन को छूती हुई ,सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्यार और मनुहार का ये स्वर मनोहारी है
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