रास्ते कब
कहाँ
आसान होते हैं
भरे पड़े है जंगल
कंक्रीटों के
मगर सब फूस के मकान होते हैं
पटी पडी हैं गलियां भी
सड़कें भी , कंकडों से
किसके तलुए हैं
जो
लहुलुहान होते हैं
दिल में
जितनी भी
बिछी हो
मखमली यांदें
हसीं सपनों का
बहकता सावन
कोयल सा उड़ता
तरंगित मन
तैरते संगीत में सब
भैरवी तान होते है
रास्ते कब कहाँ
आसान होते है
-कुशवंश
वाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंभरे पड़े है जंगल
जवाब देंहटाएंकंक्रीटों के
मगर सब फूस के मकान होते हैं
बहुत खूब
बढ़िया विचार ।
जवाब देंहटाएंबधाई ।।
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंवाह.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अभिव्यक्ति...
सादर
sunder rachna
जवाब देंहटाएंsaadar
सच कहती सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना...
:-)
सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसादर।
सच मे जीवन की राह कठिन है ...बहुत सुंदरता से कही मन की बात ....शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंपटी पडी हैं गलियां भी
जवाब देंहटाएंसड़कें भी , कंकडों से
किसके तलुए हैं
जो
लहुलुहान होते हैं...
Very impressive lines...
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