कुछ शब्द
मन में घुमड़ते
मानसून बनकर
कुछ शब्द पसरे
सड़क पर
जूनून बनकर
शब्दों के मायाजाल में
उलझा रहा हूँ मैं
गुत्थियां दर गुत्थिया
सुलझा रहा हूँ मैं
जागता हूँ
रात भर
करवट बदल
शब्द पहलू सो रहे
सुकून बनकर
सुबह होगी
मैं जगा सा
उठ पडूंगा
सुकून के शब्दों को फिर से
मै बुनूँगा
सोचता हूँ शब्दों को
आराम दे दूं
उनमे से कुछ को
अच्छा सा
कोई नाम दे दूं
भूल जाऊं
शब्दों को
सीना पिरोना
कोंपलों के लिए
जमी पर बीज बोना .
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंजाने कब कौन सा कोना सुलझे ... खुद को भरमा रहा हूँ
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही बढिया।
जवाब देंहटाएंशब्दों को पहलू में रखकर सोना
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है ...
शब्दों के मायाजाल में
जवाब देंहटाएंउलझा रहा हूँ मैं
गुत्थियां दर गुत्थिया
सुलझा रहा हूँ मैं....
सुंदर रचना...
सादर
बहुत खूब|||
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना....
:-)
बहुत सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंsundar rachana
जवाब देंहटाएंजागता हूँ
जवाब देंहटाएंरात भर
करवट बदल
शब्द पहलू सो रहे
सुकून बनकर
वाह सुन्दर भाव ,शब्द ..गज़ब का प्रवाह .
sahbdon ka seena-pirona chaalu rakhiye...jyada aaraam mat dijiye unhe nahi to vo nirash ho kar hamare shabd-kosh se muh mod lete hain.
जवाब देंहटाएंसोचता हूँ शब्दों को
जवाब देंहटाएंआराम दे दूं
उनमे से कुछ को
अच्छा सा
कोई नाम दे दूं
very impressive...
.
सोचता हूँ शब्दों को
जवाब देंहटाएंआराम दे दूं
उनमे से कुछ को
अच्छा सा
कोई नाम दे दूं..
very impressive..
.
बहुत बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
भूल जाऊं
जवाब देंहटाएंशब्दों को
सीना पिरोना
कोंपलों के लिए
जमी पर बीज बोना .
....बेहतरीन अभिव्यक्ति...
सोचता हूँ शब्दों को
जवाब देंहटाएंआराम दे दूं.....
बढ़िया अभिव्यक्ति
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 21 -06-2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... कुछ जाने पहचाने तो कुछ नए चेहरे .
बहुत सुन्दर.........
जवाब देंहटाएंलफ़्ज़ों को खूबसूरती से पिरोया है.......
सादर
अनु
खूबसूरत ख्याल बुना है..शब्दों के पहलु में सोना ..वाह ..बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंशब्द ही जीवन हैं ....
जवाब देंहटाएंशब्दों की कोंपलें तो खूब निकल रही हैं फिर आराम की बात क्यूं ।
जवाब देंहटाएंकविता बहुत खूबसूरत है शब्द शब्द बहुत कुछ कह रहा है ।