महेश कुशवंश

15 जनवरी 2012

एक पतंगा ......


रात के अँधेरे में
जब भी खोलकर बैठता हूँ
मैं
पार्क की ओर की खिड़की
मेरे कानों में
चीखने लगते है झींगुर
पूछने लगते है कुछ सवाल
कौन हो तुम ?
मैं  निरुत्तर हो जाता हूँ
नहीं दे पाता अपना वास्तविक परिचय
नेपथ्य से गूंजती है
सन्नाटे को चीरती हुयी
मशीनी पंखे की आवाज़
खिड़की   पर शेष है 
अभी थोड़ी देर पहले
 ख़त्म हुयी थी धूप के निशाँ
तभी मेरी उँगलियों पर
बैठ जाता है एक पतंगा
न मैं उसे  उडाता हूँ 
न छेड़ता हूँ
वो मुझे पूरी ताकत भर काटता है
फिर भी नहीं छोड़ पाता कोई निशान
उसके अदना सा काटने पर
मैं मुस्कुराता हूँ 
मगर मै उसकी उद्यमता का कायल हो जाता हूँ
शायद  उसका प्रयोजन पूरा हो गया था
वो उड़ जाता है
सफलता के गीत गाता हुआ
अपने प्रयास से प्रसन्न  
वो फिर उड़कर आता है 
और जलती मोमबत्ती में
जल मरता है
मै सोचता हूँ
वो एक नन्हा सा
मरते दम तक अपना प्रयास नहीं छोड़ता
नहीं भूलता अपने उद्यम
फिर हम क्यों भूलने लगते है
जीवित रहते
जीने के आयाम
उतरोत्तर प्रगति के प्रयास
अथक परिश्रम के श्रम बिंदु
ये जानते हुए की
इन्ही श्रम बिन्दुओं से बने है मोती
शितिज़ में रोज उगते है तारे
निकलता है सूरज
आते है रात दिन नियमित
हमारी आँखें खोलने
मगर फिर भी  ........

-कुश्वंश       

10 टिप्‍पणियां:

  1. अथक परिश्रम के श्रम बिंदु
    ये जानते हुए की
    इन्ही श्रम बिन्दुओं से बने है मोती
    शितिज़ में रोज उगते है तारे
    निकलता है सूरज
    आते है रात दिन नियमित
    हमारी आँखें खोलने
    मगर फिर भी ........

    ati sundar rachana,pasand aaii.

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  2. शितिज़ में रोज उगते है तारे
    निकलता है सूरज
    आते है रात दिन नियमित
    हमारी आँखें खोलने
    मगर फिर भी ....नए आयाम , नई सोच, नई परिभाषाएं उथलपुथल मचाती हैं

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  3. अथक परिश्रम के श्रम बिंदु
    ये जानते हुए की
    इन्ही श्रम बिन्दुओं से बने है मोती
    शितिज़ में रोज उगते है तारे
    निकलता है सूरज
    आते है रात दिन नियमित
    हमारी आँखें खोलने
    मगर फिर भी ........
    बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  4. पतंगे ने जीना सिखा दिया .
    सार्थक .

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  5. सुन्दर सीख देती हुई रचना ...

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  6. ek chhota sa patanga bahut kuch sikha gaya prakarti ki chhoti se chhoti cheej bhi humara maarg darshan karti hai vo humare upar nirbhar karta hai ki hum kitna grahan karte hain......bahut sundar prastuti.

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  7. One must be as active as the fire fly. We all must live our life as if there is no tomorrow. Always active and zealous....

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  8. बहूत सुंदर और बेहतरीन रचना है
    एक छोटे से जीव के माध्यम से बहूत अच्छी सीख दि है ..
    आपका ब्लॉग भी बहूत सादगी और सुंदरता से भरा है

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  9. शितिज़ में रोज उगते है तारे
    निकलता है सूरज
    आते है रात दिन नियमित
    हमारी आँखें खोलने
    मगर फिर भी, सीख देती हुई रचना ... ........

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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