महेश कुशवंश

9 नवंबर 2011

एक प्रश्न आप सब से ...


मै गमले सींच रहा था
दो खाली गमले
मैंने किनारे रख दिए
सोचा कोई अच्छे पौधे लाऊंगा 
तभी एक फेरी वाले ने आवाज़ लगाई
पौधे चाहिए
देसी, अंग्रेजी, हाइब्रिड, मौसमी
या फिर
सदाबहार गुलाब
मैंने दो पौधे पसंद किये
फूल बेचने वाला  बताने लगा
बाबूजी ये जो पहला वाला है ना
जिसमे बहुत से फूल खिले है
बहुत अच्छा  है
छोटी सी जड़
कम पानी,
कम खाद
धूप हो या छाव  
इसे कोई फर्क नहीं पड़ता
सदाबहार फूल देता है
रोज नयी मखमली पत्तियों के साथ
ढेर सारे फूलों से हमेशा प्रसन्न रखेगा
और ये जो है ना हाब्रिड है
बड से तैयार किया हुआ
इसे तो आस पास अपने ही में
कोई शाखाएं उगना पसंद नहीं  
आस पास की शाखाए उगे
तो नोच दीजियेगा
वर्ना एक भी फूल नहीं देगा
समय पे खाद, पानी
न ज्यादा, न कम
धूप से भी बचाना है
हो सके तो ड्राइंग रूम में रखियेगा
साल भर बाद
गमला भी बदलियेगा
मै पौधे के साथ गिनाई गयीं
अनगिनित शर्तों से भौचक था
मै सारी जिन्दगी जी गया
मगर इतनी शर्तों के साथ तो
तो कभी नहीं जिया  
मैंने  पहले वाले ही दो पौधे लिए
जिनको आसान था 
गमले में रोपना
परवरिश करना
जिन्दगी के बंधन क्या कम थे जो
कुछ और बांध लूं
शतों के साथ
कौन जीना चाहता है बंधकर
मगर फिर क्यों ?
एक सीधा सादा  जीवन नहीं जीते हम
और न चाहते हुए भी
क्लिस्ट होते जीवनी  झाझावातों में
चक्रविहू से उलझ जाते है हम
कभी अपनों के लिए
कभी आस पास की ईर्ष्या में
उलझनें और  उलझती हैं
हाइब्रिड जीवन जीने के लिए
उलझनों में उलझना जरूरी है क्या ?
यदि नहीं तो फिर क्यों ?

-कुश्वंश   




14 टिप्‍पणियां:

  1. यही तो समस्या है ,आपसे सहमत हूँ एक सारगर्भित रचना आभार ..

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  2. एक सीधा सादा जीवन नहीं जीते हम
    और न चाहते हुए भी
    क्लिस्ट होते जीवनी झाझावातों में
    चक्रविहू से उलझ जाते है हम
    कभी अपनों के लिए
    कभी आस पास की ईर्ष्या में... aur isi me zindagi khatm ho jati hai

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  3. बहुत ही अच्‍छी अभिव्‍यक्ति ...सार्थक व सटीक लेखन ।

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  4. सोचने को मजबूर करती लेखनी ....सत्यता का आभास करवाती हुई
    ...आभार

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  5. पिज़्ज़ा , बर्गर और मोंमोज के ज़माने में सादा जीवन कैसे जियें .
    अब सब कुछ तो पैकेज्ड हो गया है . और साथ ही सैकड़ों बीमारियाँ .

    सुन्दर सरल रचना .

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  6. एक सीधा सादा जीवन नहीं जीते हम
    और न चाहते हुए भी
    क्लिस्ट होते जीवनी झाझावातों में
    चक्रविहू से उलझ जाते है हम
    कभी अपनों के लिए
    कभी आस पास की ईर्ष्या में...

    जीवन जीने के लिए जरुरी नहीं उलझनों में उलझना... सारगर्भित रचना...

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  7. सादा जीवन उच्च विचार

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  8. बात निकली और कहाँ तक पहुँची
    जहाँ चाहते थे वहाँ तक पहुँची.

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  9. कुश्वश जी नमस्कार, जीवन में रूककर विचार करना ही चाहिये सुन्दर रचना मेरे ब्लाग पर आपको स्वागत है।

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  10. इतना सारा कुछ जो "हाई" रच लेते हैं हम, जीवन की स्वाभाविकता सरलता इसमें गुम हो जाती है..

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  11. .

    जहाँ तक 'Hybrid' का सवाल है , वह एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसके द्वारा दो अच्छी प्रजातियों का निषेचन कराकर एक बेहतर प्रजाति को उत्पन्न करना ही उद्देश्य है जो लाभकारी है। विवाह भी एक गोत्र या परिवार में निषिद्ध होते हैं क्यूंकि उससे बहुत सी व्याधियां अथवा कमियां पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में आ जाती हैं , अतः विवाह में cosmopolitan views का होना ही लाभकारी है क्यूंकि इससे 'Hybrid' , पहले से बेहतर संतति मिलती है।

    अब बात करें यदि जीवन की तो जितना सरल हो सके उतना सरल ही जीना चाहिए। बहुत कम अपेक्षाओं और सुविधाओं के साथ , सादा , सरल और मधुर जीवन ही श्रेष्ठ है।

    चित्र मन को विचलित कर रहा है।

    Regards,

    .

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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