महेश कुशवंश

15 जून 2011

अब कोई बेटा नहीं


भूमि का स्पर्श होते ही
अनुत्तरित प्रश्न,   
बेटा होता .. काश !
अनमने मन से
बधाइयों का सिलसिला,
लक्ष्मी आयी है , 
विद्रूप हंसी से स्वीकारोक्ति ,
अस्वीकार का दंश
दिखा देती है
चेहरे की कालिमा , 
अस्पताल से
घर ले जाने की जल्दी है,
प्रत्येक बार,
हर बार
एक ही प्रश्न,
आस पड़ोस के प्रश्न,
उसे घर के अन्दर बांध  देते है,
और वो किसी को मुह दिखने लायक नहीं रहती,
पहला तो बेटा ही होना था
स्वलिंगी रिश्तेदार सर पीटते है,
बिना पढ़ी लिखी बड़ी बहू
इतराकर चलती है ,
युद्ध में विजयी की तरह,
उसकी सारी उच्च शिक्षा
नेपथ्य में चली जाती है,
हो जाती है व्यर्थ
वो किसी को नहीं समझा पाती
लिंग अर्थ,  
अपने आसपास जुटी  स्वलिंगी भीड़ 
उसे...
स्वयं से ही प्रतिशोध लेती हुयी प्रतीत होती है,
वो सोचती है
कैसा है ये प्रतिशोध,
जन्म-जन्मान्तर से अपरिवर्तित,
सुलगता हुआ,
स्वपोषित,
....... 
मासूम की अधखुली आँखे,
नन्हे हाँथ,
गोल होते होंठ,
उसे चिढाते प्रतीत होते है,
प्रश्न करते,
माँ.....
क्या सोचा है मेरे लिए ?
उसकी कस  जाती है मुठ्ठियाँ
चेहरा हो जाता है पाषाण
ले लेती है एक कठिन निर्णय
बिना पल भर देरी किये, 
बस अब और नहीं
एक शब्द भी नहीं सुनना उसे
किसी का भी,
और ना ही जन्मना है अब कोई बेटा
इस जीवन में,
वंश चलाने  के लिए भी नहीं ,
उसके इस निर्णय से
आस-पास की भीड़
दुबक जाती है
उसके इस रौद्र रूप से
किसी में  प्रतिकार की भी हिम्मत नहीं बचती
पति की भी नहीं ..

-कुश्वंश  







   



13 टिप्‍पणियां:

  1. मासूम की अधखुली आँखे,
    नन्हे हाँथ,
    गोल होते होंठ,
    उसे चिढाते प्रतीत होते है,
    प्रश्न करते,
    माँ.....
    क्या सोचा है मेरे लिए ?
    उसकी कस जाती है मुठ्ठियाँ
    चेहरा हो जाता है पाषाण
    ले लेती है एक कठिन निर्णय
    बिना पल भर देरी किये,
    बस अब और नहीं
    एक शब्द भी नहीं सुनना उसे
    किसी का भी,
    और ना ही जन्मना है अब कोई बेटा
    इस जीवन में,
    वंश चलाने के लिए भी नहीं ,
    उसके इस निर्णय से
    आस-पास की भीड़
    दुबक जाती है
    उसके इस रौद्र रूप से
    किसी में प्रतिकार की भी हिम्मत नहीं बचती
    ....... pratikaar karte dridh hote saare kale saye dubak jate hain

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  2. जबरदस्त ||
    सटीक प्रस्तुतीकरण ||
    बधाई , कोई उहापोह नहीं ||

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  3. भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई.

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  4. शानदार कविता...एकदम सटीक...सत्य बतलाती कविता...बधाई...

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  5. एक बार इसे जरुर पढ़े कॉग्रेस के चार चतुरो की पांच नादानियां | http://www.bharatyogi.net/2011/06/blog-post_15.html

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  6. जिस दिन से स्त्री ही प्रतिकार करने लगेगी और स्वंय निर्णय लेने लगेगी तभी से सोच बदलेगी …………बहुत सुन्दर प्रेरित करती रचना।

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  7. रचना के भाव अंदर तक छू जाते हैं..क्यों लडकी होना सहन नहीं होता विशेष कर स्त्रियों को ही? बहुत सार्थक और प्रेरक प्रस्तुति..

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  8. ले लेती है एक कठिन निर्णय
    बिना पल भर देरी किये,
    बस अब और नहीं
    एक शब्द भी नहीं सुनना उसे
    किसी का भी,
    और ना ही जन्मना है अब कोई बेटा
    इस जीवन में,
    वंश चलाने के लिए भी नहीं ,
    उसके इस निर्णय से
    आस-पास की भीड़
    दुबक जाती है
    उसके इस रौद्र रूप से
    किसी में प्रतिकार की भी हिम्मत नहीं बचती
    पति की भी नहीं ..

    प्रतिकार करते शब्द... बहुत शक्ति है इस प्रतिकार में दुनिया बदलने की ताक़त रखता है ये.... बस जाग्रति की देर है .....
    मर्मस्पर्शी रचना...

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  9. उसकी कस जाती है मुठ्ठियाँ
    चेहरा हो जाता है पाषाण
    ले लेती है एक कठिन निर्णय
    बिना पल भर देरी किये,
    बस अब और नहीं
    एक शब्द भी नहीं सुनना उसे
    किसी का भी,
    और ना ही जन्मना है अब कोई बेटा
    इस जीवन में,
    वंश चलाने के लिए भी नहीं ....



    स्त्री/माँ का यह रूप अभी तो दुर्लभ है ...पर जिस दिन यह इसी रूप में आ जायेगी, समाज का रूप ही बदल जाएगा...ईश्वर यह दिन जल्द से जल्द दिखाएँ,यही कामना है...

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  10. उसके इस निर्णय से
    आस-पास की भीड़
    दुबक जाती है
    उसके इस रौद्र रूप से
    किसी में प्रतिकार की भी हिम्मत नहीं बचती
    बेहद गहन शब्‍दों के साथ सटीक एवं सार्थक अभिव्‍यक्ति ।

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  11. स्त्री के रूप अनेक कभी माँ तो कभी बेटी होती है कभी पत्नी तो कभी प्रेयसी |पर माँ की महत्ता को कोई नहीं झुटला सकता |रौद्र रूप के प्रतिकार की भी कोई हिम्मत कोई नहीं कर पाता |बहुत सुंदर ह्रदय स्पर्शी रचना |
    आशा

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  12. जन चेतना यही तो है , स्त्रियाँ सजग हो रही हैं । आत्म विश्वास से भर रही है । पुरुष भी उसका साथ दे रहे हैं । इतनी सुन्दर भावनाओं को शब्द देने के लिए बधाई।

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  13. We want such women in our society. Very well written and with a great message.
    This is one of the finest piece of writing.

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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