महेश कुशवंश

16 जून 2011

बापू ! शर्म से मर गए होते.











बापू !
स्वर्ग से उतरकर
एक बार तो देखो
अपना गणराज्य ,
अपने सपनों का रामराज्य
जिसकी तुमने कल्पना की थी,
तुम्हारी धोती, लाठी, घडी, चस्मा और कांग्रेस
हरदम याद रहते है मुझे,
भारत के हृदय में अभी भी
धोती में लिपटा गरीब,मजदूर और किसान,
तुम्हे साफ़ दिखाई देगा,
और
दिखाई देगी तुम्हे
गिनी जा सकने वाली उसकी पसलियाँ,
जलोदर से बढे नौनिहालों के
अनियंत्रित  भूंखे पेट,
संतरियों के घर घोर असुरक्षित बेटिया,
भरी सभा में द्रोपदी का चीरहरण,
कूड़े के ढेर में पड़े अनगिनित कन्या भ्रूण,
और नक्कारखाने में अपनी आवाज़,
दमन होता  आमरण अनशन, 
गंगा के लिए मरते निगमानंद,
लाठी कांगेस के पास है
उस  कहावत के साथ
जिसकी लाठी उसकी भैस,
घडी तो तुम्हारे मरते ही बंद  होगयी,  
देश का समय अभी भी वही ठहराहै,
कानून पर सरकारों का पहरा है,
तुम्हारे चश्मे से तुम्हारी नज़र का दम भरने वाले भी , और
तुम्हारी समाधी पर नाचने -गाने वाले तुम्हारे तथाकथित अनुयायी,
तुम्हारी धोती खीचने की जुगत में है,
ठीक ही है तुम नहीं हो
वहां क्या ?
कही भी नहीं हो
होते तो जानकार  छिप  गए  होते 
जिनके हांथों में सौप गए थे  देश का भविष्य
उन लुटेरों से लुट गए होते
नहीं आया कोई लुटेरा बाहर  से
लूटते देखते अपने ही हाँथ,
बापू !
गर जिन्दा होते भी तो 
शर्म से मर गए होते .

-कुश्वंश


16 टिप्‍पणियां:

  1. हे बापू तुमने भारत को
    किस पथ पर मोड़ दिया है,

    स्वप्न दिखाकर रामराज्य का
    संग ही छोड़ दिया है ||

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  2. होते तो जानकार छिप गए होते
    जिनके हांथों में सौप गए थे देश का भविष्य
    उन लुटेरों से लुट गए होते
    नहीं आया कोई लुटेरा बाहर से
    लूटते देखते अपने ही हाँथ,
    बापू !
    तुम शर्म से मर गए होते .
    sach hai....

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  3. आदरणीय कुश्वंश जी भावभीनी कविता...सच में आज बापू जिन्दा होती तो उन्हें पछतावा होता कि किस अत्याचारी नेहरु के हाथ में देश छोड़ गया मैं...

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  4. इसी बात की तो शर्म है गैर के हाथो लुटे तो कोई गम नही होता मगर जब अपने लूटते है तो सिर शर्म से झुक जाता है।

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  5. यही विडंबना है ..अपने लोगों के हाथ ही लुट रहे हैं ..

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  6. सच है... जब अपने लूटते है तो सिर शर्म से झुक जाता है...

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  7. गैर के हाथो लुटे तो कोई गम नही होता मगर जब अपने लूटते है तो सिर शर्म से झुक जाता है।

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  8. hame to apnone loota gairon mai kahaan dam tha. such hai bapu aaj jahan bhi honge bahut dukhi honge.sochate honge firangi luteron se to bacha liya ab in deshi looteron ka kya karen.

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  9. गर जिन्दा होते भी तो
    शर्म से मर गए होते .
    अपने ही जब लूटने पर आमादा हो

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  10. दुखद हैं आज के हालात..... विचारणीय बात कहती कविता....

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  11. किस कदर हमारे चरित्र गिर गये हैं? अच्छा हैबापू देखने के लिये ज़िन्दा नही।

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  12. अजीब दौर है...पीड़ादायक है यह सब...
    सच को प्रतिबिम्बित करती बेहतरीन कविता.

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  13. बापू के सामान तो गायब होने ही हैं .... हम जब उनके दॄष्टिकोण को .उनकी विचारधारा को ही नही सहेज पा रहे हैं तब और क्या उम्मीद करें ... बेहद उम्दा प्रस्तुति ......

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  14. बहुत जबरदस्त लिखा है.. आज की हालत पर .. बापू जी को ले कर आज की स्तिथि अत्याचार पर निग्मानद जी के बलिदान पर लिखी आपकी कविता बहुत ही उम्दा लिखी... वाह

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  15. हमारे शहीद और स्वतंत्रता सेनानी जब इस जुल्म और कपट को देखते होंगे तो निश्चित ही उनकी आत्मा चीत्कार करती होगी।

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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