टूट गए जब
सारे दाँत
सूख गई
अंदर तक आंत
ऐसे मे दिल गया उछल
पता चला होली है कल
किसको तिरछे नयन निहारूँ
प्यार भरा
कंकड़ कब मारूँ
भौजी के भी दाँत नही
साली की भी आंत नही
मधुबाला भी गई निकल
क्या करूँ होली है कल ?
हाय ! पड़ोसन चाचा बाँचे
दिल मे खिड़की भरे कुलांचे
मगर कहीं भी
पकी न दाल
बुरा हुआ होली मे हाल
अब तो एक ही
रास्ता बाकी
निकलेगी जब होली झांकी
मचाऊंगा जमकर हुड़दंग
पीलूगा ठंडाई, भंग
भेस बदल कर ,
राधा बनकर
ज्वाइन करूंगा , महिला टोली
ऐसे खूब मानेगी होली......
कुशवंश
हा हा हा ! होली मे मन बावरा हो रयो है ! :)
जवाब देंहटाएंबढिया हास्य कविता .
बहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएंहोली मुबारक हो।
सादर
कल 14/03/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !