महेश कुशवंश

25 जुलाई 2013

निरअर्थ




कभी हवाओं  से मार देते हो
कभी घटाओं  से मार देते हो
जब भी चलता नहीं बस… कोई 
कातिल
अदाओं  से मार देते हो…
मर मर के ही
जीने का
कहाँ अर्थ है कोई
घूँट घूँट आंशुओं को ही
पीने का
विकल्प है कोई
चीखने चिल्लाने का
कहाँ रहा है
कोई अर्थ
तुम तो कभी-कभी
निरअर्थ मार देते  हो …।



9 टिप्‍पणियां:


  1. किसी की अदाओं पर मरना भी जिंदगी है.

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  2. अर्थ को अर्थ से समझने की जरुरत है

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  3. बहुत उम्दा ... उके अंदाज को बाखूबी लिखा है ..

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  4. तुम तो कभी-कभी
    निरअर्थ मार देते हो
    bahut sunder
    rachana

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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