हर शाम की
जरूरी नहीं कि , रात हो
हर निःशब्द के बाद
जरूरी नहीं कि , बात हो
स्वप्न कितने भी
डरावने हों ,
बीत जायेंगे
फासले कितने भी हों पुराने
रीत जायेंगे
कसक हैं , तो बस
धैर्य बनाए रखिये
संबधों की महक
बंद आँखों में
बसाए रखिये
लम्हे-लम्हे ,
खामोश अदाओं की तरह
बीत जायेंगे
बस यही जज़्बात
जिन्दगी का साथ
बहुत दूर तक निभाएंगे .
लम्हे-लम्हे ,
जवाब देंहटाएंखामोश अदाओं की तरह
बीत जायेंगे
बस यही जज़्बात
जिन्दगी का साथ
बहुत दूर तक निभाएंगे .
बहुत सुन्दर .......
'हर शाम की
जवाब देंहटाएंजरूरी नहीं कि , रात हो'
सुन्दर!
लम्हे-लम्हे ,
जवाब देंहटाएंखामोश अदाओं की तरह
बीत जायेंगे
बस यही जज़्बात
जिन्दगी का साथ
बहुत दूर तक निभाएंगे .
सुन्दर!
फोटो देखकर तो आनंद आ गया।
जवाब देंहटाएंऔर रचना पढ़कर तो जैसे मन प्रफुल्लित हो गया।
बढ़िया।
धैर्य ही हर रिश्ता की कुंजी है
जवाब देंहटाएंlatest post सुख -दुःख
बहुत ही अच्छी बात कहीं है आपने रचना में..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना...
:-)
खुबसूरत जज़्बात......
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
धीरज ही रिश्तों को बचाए रखेगा ...
जवाब देंहटाएंरिश्तों की खुशबू को भी !
वाह ही ...भीनी सी खुशबू रिश्तों की
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा...बहुत बहुत बधाई...
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