मैं अपनी पत्नी के साथ
कोफी हॉउस में घुसा
और दो कपाचीनो के आर्डर के साथ
सुर्ख कुर्शियों पर ज्यों ही बैठा
सामने से काले नीले जींस टाप में
किसी ने हाय कहा
मैंने हाय का कोई जवाब नहीं दिया ..
वो मुस्कुरा दी
ये तो अच्छा था पत्नी का मुह उस तरफ नहीं था
वरना हाय का क्या हस्र होता
आप भी जानते होगे शायद
मेरा खुश होना ज्यादा देर नहीं रहा
मोहतरमा ने पत्नी को भी हाय कह दिया
पत्नी ने विद्रूप हंसी मेरी तरफ उछाल दी
मैंने अनजाना सा मुह बनाया
मैं नहीं जानता
वो काउंटर पर खडी थी
कमर तक पर्श लटकाये
मेरी कपाचीनो कडवी हो गयी थी
पत्नी की कप में ही थी
एक अबोल सन्नाटा पसरा था टेबिल पर
वो रिसेप्सन से मुडी
वो मेरी ही तरफ आ रही थी
मेरे होंठ सूखने लगे
मेरी टेबिल से गुजरती हुयी वो मेरे पास से गुजरी
और मुझे दो उंगलियाँ हिलाते हुए
काफी हाउस से बाहर निकल गयी
मैं कभी अपने को कभी पत्नी को देख रहा था
पत्नी ठंडी काफी एक घूँट में पी गयी
और उठ के खडी हो गयी
मैं किन्कर्तावय सा चस्मा साफ़ करने लगा
पत्नी कार तक बढ़ चुकी थी
मैं भारी क़दमों से कार की और बढ़ने लगा
मेरा वीकेंड
जीन्स टॉप ,और हाय की भेंट चढ़ चुका था
मैंने अपने को वक्त के हवाले छोड़ दिया
और सोचने लगा
कौन थी वो ..
.........
अगर थी भी तो ...
मेरे साथ मेरी पत्नी क्यों थी ...हाय
हा हा हा !
जवाब देंहटाएंहाय हाय !
जाने किस की हाय लगी। :)
अब अगली बार अकेले ही कपिचुनो पीजिएगा।
:-)
जवाब देंहटाएंहा हा हा.......
घर जाकर क्या हुआ ये अगली कविता में बताइयेगा ज़रूर....
:-)
सादर
अनु
इन्तजार कीजिये अनु जी , वो कविता भी मजेदार होगी .आभार
हटाएंपहली बार आपके ब्लॉग पर एक हल्की-फुल्की केपिचिनो की ताजगी भरी रचना पढने को मिली - बहुत अच्छा लगा
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जवाब देंहटाएंअभी तो केपिचुनो का फ्लेवर मिला है स्वाद कितना अच्छा होगा ?
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बहुत खूब :)
जवाब देंहटाएंसादर !
ha ha ha haha ...sach mein ...वो कौन थी???
जवाब देंहटाएंहे भगवान् ...
जवाब देंहटाएंgajab situation aa gayi thi..
जवाब देंहटाएं:-)
बहुत खूब.....सर जी
जवाब देंहटाएंकुश्वंश जी अपना ईमेल आईडी प्रदान करे
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर
Kushwansh@gmail.com
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