गतांक से आगे .............
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कार का दरवाजा
भड़ाक से बंद होता है
मेरे साथ की सीट खाली है
श्रीमती जी पिछली सीट पर विराज गयी है
जींस टॉप ने एक झटके में मुझे
मालिक से ड्राईवर बना दिया
फरमान जारी होता है
घर चलो ..
अभी तो लाइफस्टाइल जाना था
फिर हथकरघा प्रदर्शनी
कहाँ चलूँ ..
मैंने लडखडाते हुए पूंछा
कही नहीं जाना
घर चलो ..
तभी रिंगटोन बजती है ..
सबको सन्मति दे भगवान् ...
श्रीमती जी का मोबाइल बजता है
दूसरी तरफ डाक्टर बिटिया है ..
हथकरघा प्रदर्शिनी जा रही हूँ
वही आ जाओ ..
श्रीमतीजी व्यस्त हो जाती है
मुझे दिशा मिल जाती है
कोप से बचने का सहारा मिल जाता है
गाडी पार्क की तरफ भागती है
पार्किंग में गाडी
श्रीमतीजी प्रदर्शनी के गेट पर पहुच चुकी हैं
मैं दूध से निकली मक्खी सा
पीछे रह जाता हूँ
श्रीमती जी सिल्क इम्पोरियम में घुस जाती है
दो सिल्क साड़ी ,और दो कुर्ते काबिल मुझे थमा कर
कश्मीरी स्टाल में घुस जाती है
दुकानदार साढ़े सात हज़ार झटक लेता है
कश्मीरी स्टाल में
माँ बेटी , मौक़ा मुआयना करती है
कुर्ता , शाल , मफलर ,स्वेटर के बिल इकट्ठे होने लगते है
मैं चार पैकेट पकडे
राजस्थानी चूरमा -बाटी स्टाल पर
बिटिया की नन्ही को
चूरमा , कचौड़ी खिलाता हूँ
सामने से खिलखिलाती श्रीमतीजी और बेटी आते दिखती हैं
और मेरी तरफ बिना देखे
बिल बढ़ा देती है
मैं कश्मीरी स्टाल पर छह पैकेट के
नौ हज़ार चुकाता हूँ ..
रात के दस बजने को हैं ..
हम वापस जाने को मुड़ते हैं
तभी एक बैंक के स्टाल पर ..
जींस-टाप खिलखिलाती नज़र आती है
श्रीमती जी मुझे अर्थपूर्ण नज़रों से घूरती
उसके पास पहुच जाती हैं
और दाग देती हैं दो टूक सवाल
मिस्टर सिंह को कैसे जानती हो ..
वो मुस्कुराती है ..
क्लाइंट है मेरे .. अच्छे क्लाइंट ..
श्रीमती जी का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है
वो पूछ बैठती है ..
कब मिलती हो इनसे ..
वो मुक्कुराती है ...
कभी नहीं
पर मिलना चाहती हूँ ..
इनसे ही नहीं आपसे भी ..
आपको होम लोन देना है ..एक अच्छे घर के लिए
मैं बैंक की होमलोन कौंसलर हूँ
और अच्छे क्लाइंट से मिलना
मेरी जॉब है
इसीलिए
आपके मिस्टर से मिलन को मन बेताब है
थैंक्स मैडम ..
हमारे पास घर है ....और एक पति भी
श्रीमती जी मुझे प्यार से निहारती हैं
लाओ ..कुछ पैकेट मुझे भी देदो ...
मुझसे दो पैकेट लेकर
मेरे साथ कदम से कदम मिलाती है
और कार की अगली सीट पर बैठ जाती है ..
हम किसी अनहोनी से
बाल-बाल बच जाते है .....
बस ..
बाल-बाल बच जाते है
kya baat hai ...sundar Rachna
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post.html
हा हा हा पत्नियों कि अच्छी रग पकड़ी है आपने कुश्वंश जी सब समझ में आता है फिर भी हमे आप पर तरस आता है ,आगे चलकर कोई और मिल जाती तो दो पैकेट और कम हो जाते हहा हा बहुत मजेदार रचना हेतु हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना... बधाई
जवाब देंहटाएंहा हा हा
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंहा हा हा !
जवाब देंहटाएंसमझ नहीं आया -- जब आप चोर नहीं थे , आपके दाढ़ी भी नहीं थी -- फिर तिनके से क्यों डर रहे थे ? :)
चलिए बच गए आप सर जी..
जवाब देंहटाएंअंत भला तो सब भला...
बेहतरीन
:-)
आपको लग रहा है कि बाल बाल बच गए .... पर बाल कि खाल तो घर जा कर निकली होगी :):)
जवाब देंहटाएंहाहाहाहाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा हाहाहा
जवाब देंहटाएंहाहाहा हाहाहा......
जवाब देंहटाएंLatest postअनुभूति : चाल ,चलन, चरित्र (दूसरा भाग )
हा हा हा हा .......चलिए आप के बाल बाल बच गए
जवाब देंहटाएंबाल बाल बच गए
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