महेश कुशवंश

2 अक्तूबर 2012

बापू ... हे ....राम













शाम होने को है 
किसी भी ह्रदय में 
अहिन्सा नहीं उपजी 
चाकू से सर काटकर हुयी ह्त्या 
ट्रेन की बोगी में लूटपाट 
बलात्कार का प्रयास 
अपहरण , फिरौती 
दुधमुही फिर मिली कूड़े के ढेर में 
बेटे ने बाप को अस्पताल के बाहर छोड़ा 
पुलिस वाले बूट की नोक से जांचते रहे सांसें 
ऐफ़ाईआर सर्विस एरिया की भेंट चढ़ गयी 
नहीं लिखी गयी
चौराहों पर होती रही उगाही और 
घुसते रहे नो एंट्री में ट्रक 
चौराहों पर लगता रहा जाम 
ट्राफिक पुलिश काटती रही चालान 
मरीजों और धरती के डाक्टरों में फिर चली लात घूसा 
सड़क पर धरना, फ्री  लाठी चार्ज 
घायलों को बटेगा मुआवजा 
बेरोजगारों की होती रही गिनती 
आने वाली हैं  सरकारी चैके 
लैपटाप बनाने वाले सिंगापुर गए है 
आने वाले है लैपटाप 
रोस्टिंग में आज दस घंटे बंद रही बिजली 
बिजली की चार में दो इकाई  बंद 
ट्रेन फिर पटरी  छोड़ गयी 
सिग्नल फेल , ड्राइवर निलंबित 
....
कुछ तो नया नहीं हुआ 
वैष्णवजन के बोल बजते रहे 
गांधी प्रतिमा नहलाई गयी 
सभी तुम्हारे ठेकेदारों ने शपथ खाई 
शाम होने को है 
बापू तुम नहीं आये ..
अपने जन्म दिन पर भी नहीं 
कहाँ चले गए तुम 
राम राज्य का सपना संजोते 
सच है तुम्हारा राम राज्य
हे राम ...
बस हे राम ...

-कुश्वंश 


11 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन अभिव्यक्ति....
    बेहद सशक्त...
    बापू नहीं आये अच्छा है.....वरना मौत के बाद भी शान्ति नहीं मिलेगी. ..

    सादर
    अनु

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  2. बापू को बस एक दिन याद करने का तमाशा होता है ... सशक्त अभिव्यक्ति

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  3. बापू तुम भी नहीं ....जीवन की लड़ाई अब कौन लड़े ...??
    सत्या कहती सार्थक रचना ....!!

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  4. बहुत ही सशक्‍त अभिव्‍यक्ति ।

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  5. कल एक बार फिर फिल्म गाँधी देखी . यही महसूस हुआ -- कितना मुश्किल है किसी आम आदमी के लिए गाँधी के बताये सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना .
    शायद इसीलिए हर कोई गाँधी नहीं हो सकता .

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  6. अब बापू के तीनों बंदरों को ,देखना ,सुनना और बोलना चाहिये - चुपचाप अनीतियां देखना सुनना सबसे बड़ी कायरता है !

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  7. आज की अव्य्बस्था का अच्छा चित्रण किया है बहुत सटीक रचना आभार

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  8. काश संदेश वहां तक भी पहुंचे, जिसे इसकी सख्त जरूरत है।
    आंख खोलती पोस्ट

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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