पहले तुम
हमारे मन मंदिर में
दूर तक समाये थे
तुम्हें मेरा मन बार बार
नमन करता था
श्रध्दा से मस्तक बार बार
नत हो जाता था
तुम्हारे सानिध्य में
अपार खुशियों का
अमिट अनुभव करता था मैं
तुम्हारी भक्ती को
प्रसारित कर
तुम्हारे गुन्गानों का
रस बहाता था मैं
आज
न जाने क्यों
तुम्हें देखने का भी
मन नहीं करता
तुमसे मुह मोड़
तुम्हारी अवहेलना को
उद्देलित होता हूँ मैं
कारण तुम स्वयं हो
तुमने ही
मेरे मन मंदिर के
कई घरौंदे तोड़े है
अपने लिये
नफरतों के
कई बिम्ब उकेरे है
तुम्हारे इस विस्वासघात ने
बना दिया है मुझे बबूल
सूच्याकार काँटों से आक्छादित
जिसके पास अब कोई नहीं आता
और आता भी है तो
रक्तरंजित हो
निरा रक्त से सना बिलखने लगता है
मैं और भी हंसनें लगता हूँ
मुझे नज़र आने लगता है
तुम्हारा प्रतिबिम्ब
अब ये तुम्हे सोचना है
किसे बदलना चाहिए .
-कुश्वंश
बहुत सुन्दर विचार....
जवाब देंहटाएंबार बार बदलने से...परखने से अपनापन नहीं रह जाता...
सादर
अनु
पाठक और श्रोता मित्रों को हर स्थिति में भावुक लेखक का ही साथ निभाना है.... वह चाहे तो मन मंदिर में बसे प्रियतम के कसीदे लिखे या सुनाये. या फिर, प्रियतम से मिली उपेक्षा के कारण उससे प्रतिकार लेने पर तुल जाये... हम तो कवि हृदय की हर अनुभूति के साथ हैं... 'हम नहीं बदलेंगे' चाहे कवि हृदय की सत्ता क्यों ना बदल जाये.
जवाब देंहटाएंकुश्वंश जी, बढ़िया भावपूर्ण रचना के लिये बधाई.
विश्वासघात शूल की भांति पीड़ा देता है, उन्हें बदलना ही होगा, वर्ना भुला देना ही सही है... गहन विचार से ओतप्रोत रचना के लिए आभार
जवाब देंहटाएंइस दर्द को वही समझता है, जो पाता है
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए उत्कृष्ट लेखन ।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण ....गहरी एवं विचारणीय अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbhav purna abhibyakti....manan karne layak hai.
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंभाव अभिव्यक्ति...
:-)
गहन भाव अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंgood one...very thoughtful!!
जवाब देंहटाएंतुम्हारे इस विस्वासघात ने
जवाब देंहटाएंबना दिया है मुझे बबूल
प्रभावशाली अभिव्यक्ति।
Bohot hi gehre vichar.... :)
जवाब देंहटाएंइस बेज़ार दिल के ज़ख़्मी से एहसास ....वाह बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंएक-एक शब्द भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंसंवेदनाओं से भरी बहुत प्रभावशाली अभिव्यक्ति।....!!!!
तुमने ही
जवाब देंहटाएंमेरे मन मंदिर के
कई घरौंदे तोड़े है
अपने लिये
नफरतों के
कई बिम्ब उकेरे है
बहुत ज्यादा अपेक्षाएँ ऐसा ही कुछ महसूस करने के लिए बाध्य कर देती हैं .... सुंदर प्रस्तुति ... मन के सच्चे भाव के साथ
यह स्थिति बड़ी ही त्रासद और घातक होती है..
जवाब देंहटाएंअव्साद्जनक स्थिति का प्रभावपूर्ण चित्रण किया है आपने..
बहुत सुन्दर और प्रभावी अभिव्यक्ति...
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