पापा ने कब गोद में उठाया
कब भागे आइसक्रीम खाने
प्रसन्नता के अतिरेक में
हां ये जरूर याद है
माँ रह गयी पीछे भागते भागते
मुझे याद नहीं
पापा ने कब अपने कन्धों पर बिठाकर
रामलीला दिखाई
और माँ खरीदती रही खिलौने
कभी चाभी से चलने वाली कार
कभी हसने वाला जोकर
मुझे ये भी याद नहीं
जब पहले दिन स्कूल जाने से डर रहा था मैं
पापा के पीछे नहीं छिपा
माँ का आँचल काम आया था
न जाने की नाकाम कोशिश में
स्कूल में प्रवेश के बाद
किस क्लास में बैठा
पापा नहीं याद रखते
और भूला हुआ लंच चपरासी से मिलता था
वो जानता जो था मेरा क्लास
हां जानते पापा को वो भी थे
जिन्हें पापा शायद नहीं जानते थे
किसी नए शहर में
बहुत से अनजान मददगार हो जाते थे पापा के
मैं जान ही नहीं पाता
पापा ये कारनामा कैसे करते
पापा .. ! शायद
एक बार ही रोये थे
जब दादा जी नहीं रहे थे एकाएक
बयालीस की उम्र में
ये भी मुझे माँ से पता चला था
मैं आज भी माँ से कहता हूँ
जब भी कुछ कहना होता है पापा से
मगर मेरे बच्चे
बैठ जाते है पापा के कन्धों पर
पूजा कर रहे हों पापा तब भी
और जब पापा खाना खा रहे होते हैं
आँख से उतार कर फेंक देते हैं चश्मा
अरे .. तोड़ दिया बदमाश ने
कहकर
आधा खाना छोड़कर भी
भागते हैं चश्मा उठाने
माँ बस मुस्कुरा देती है
मैं उस समय भी चुपचाप
वहाँ से खिसक जाता हूँ
अभी भी
पापा के डर से .
-कुश्वंश
Very appealing creation..
जवाब देंहटाएंबहुत भाव प्रवण रचना है |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
ये ही है यादों का सुहाना सफ़र.....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
भावभीनी अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसुंदर अतिसुन्दर अच्छी लगी, बधाई
जवाब देंहटाएंअसल से मूल प्यारा होता है ....बहुत प्यारी सी रचना
जवाब देंहटाएंपिता के संरक्षण को सार्थक और सम्मान के साथ प्रस्तुत करने का बेहतरीन प्रयास;;;; बधाईयाँ ||||
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना ...हृदयस्पर्शी....
जवाब देंहटाएंपापा से सबको डर लगता है. मगर पापा को असल से ज्यादा सूद प्यारा है. बचपन याद दिला दिया.मेरी नई पोस्ट में आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंपापा -यानि नारियल,....यह बहुत संतुलन देता है
जवाब देंहटाएंमूल ठोस हो तो सूद के साथ ऐसे होते हैं दादा
अच्छी लगी आपकी यह कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंmaaa ke liye sab kahte hain....
जवाब देंहटाएंpapa ke liye padhna achhha laga:)
बचपन की यादें ताजा करती भावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता...पीढ़ियों में आ रहा अंतर साफ झलकता है....उस समय के पापा और अब के पापा में.....
जवाब देंहटाएंआज कल के बच्चे पापा से कहाँ डरते हैं .... और हमेशा मूल से ज्यादा प्यारा सूद होता है .... बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह ! छू गयी दिल को रचना !
जवाब देंहटाएंकिसी नए शहर में
जवाब देंहटाएंबहुत से अनजान मददगार हो जाते थे पापा के
मैं जान ही नहीं पाता
पापा ये कारनामा कैसे करते ....
मन को छू गयी यह रचना
हृदय को छूती हुई बहुत सुंदर अभिव्यक्ती .....
जवाब देंहटाएंमूल से ब्याज ज्यादा प्यारा होता ही है ......!!