कौन जाने
किस जहां में
जा रहा हूँ
मैं
मन को किस
अंधी गली में
पा रहा हूँ
मैं
सोचता हूँ
रास्तों को
सरल
कुछ आसान करलूं
हाँथ में कुछ भी नहीं,
पर
प्लान कर लूं
बंद आँखों से चलो कुछ
स्वप्न देखें
कौन कैसे वक्त में जी रहा है
चित्र देखें
पीठ में जो
भोक देते हैं छुरा
आओ
ऐसे दोस्त
सच्चे मित्र देखें
डूबते सूरज को देखें ओट से
चाँद को देखें
ज़रूरी खोट से
आदमी को आओ देखें
वोट से
आओ कुछ
खुशियाँ खरीदें नोट से.
कुश्वंश
सही कहा जी ....आज सब कुछ खरीदा जा सकता हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व्यंजना है भाव की अर्थ की ,देखें कर लें जहां जहां "देखे" है .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व्यंजना है भाव की अर्थ की ,देखें कर लें जहां जहां "देखे" है .
जवाब देंहटाएंरविवार, 26 अगस्त 2012
एक दिशा ओर को रीढ़ का अतिरिक्त झुकाव बोले तो Scoliosis
एक दिशा ओर को रीढ़ का अतिरिक्त झुकाव बोले तो Scoliosis
नोट और वोट पर बढ़िया कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंज़रूरी खोट से
जवाब देंहटाएंआदमी को आओ देखें
वोट से
आओ कुछ
खुशियाँ खरीदें नोट से...
How hard we struggle for small piece of happiness.
.
नोट से खुशियाँ - क्षणिक और उबाऊ होती हैं
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएं