महेश कुशवंश

15 अगस्त 2012

स्वतंत्रता दिवस जिन्दाबाद




सुबह हुयी 
कुछ जल्दी हुयी 
प्रभात फेरी की हुंकार भरते लोग 
उसके बाद 
लाइन से निकलते स्कूल के बच्चे 
छोटे छोटे तिरंगे हाथों में लिए 
टीचर जी हाथ में छडी लिए 
लाइन  ठीक करा रहे थे 
मगर बच्चे तो 
लाइन से भटक ही जाते है 
चारो तरफ शोर था
इन्साफ की डगर पर
बच्चो दिखाओ चलके 
ये देश है तुम्हारा 
नेता तुम्ही हो कल के ....
भीड़ स्कूल पहुच गयी थी 
नेताजी झंडा फहराने आने वाले थे 
वे तीन घंटे लेट आये 
आते ही बोले 
बड़ा व्यस्त कार्यक्रम था 
ये सातवा झंडा रोहण  है 
बच्चे चिल्ला रहे थे 
जय हिंद 
भारत माता की जय 
नेता जी चले गए थे 
किसी और  झंडा रोहण  में 
बच्चे लड्डू के लिए 
लाइन में लगे थे 
...
वो उधर पार्क में
उधर चौराहे पर भी 
एक और झंडा रोहण में नेताजी का इंतज़ार है 
लोग  झुण्ड लगाये खड़े थे
भीड़ तो चौराहे पर भी नहीं है 
लोग तो घर से निकलते ही नहीं 
देश तो पातळ में जायेगा ही 
इस रास्ट्रीय पर्व पर भी 
कितने असंवेदनशील हैं लोग 
अब देश का कुछ नहीं हो सकता 
....
चौराहे पर केले बटे  थे 
पार्क में बर्फी 
मगर भीड़ कही नहीं थी 
शाम होने को आयी 
पार्क का झंडा उतरने की 
किसी को सुध नहीं थी 
गलियों में 
सड़क पर 
बिखरे पड़े थे 
सुबह तक जो  हाथों में थे 
नन्हे तिरंगे 
स्वतंत्रता दिवस जिन्दाबाद
भारत माता की जय 
वन्दे मातरम् 
..

कुश्वंश 

  


7 टिप्‍पणियां:

  1. ……………स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  2. सोचने पर मजबूर करते हैं ऐसे दृश्य और ऐसी घटनाएं...
    जाने हम कब सुधरेंगे....
    बढ़िया रचना...
    फिर भी शुभकामनाएं देती हूँ पर्व की.....जिसकी वाकई ज़रूरत है हम सभी को.
    सादर
    अनु

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  3. विडम्बना को रेखांकित करती सुंदर रचना...
    सादर।

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  4. स्वतंत्रता दिवस जिन्दाबाद
    कुश्वंश
    अनुभूतियों का आकाश

    बहुत सुंदर !!

    रोज प्रभात फेरी बताइये
    हम कैसे लगायेंगे
    इतने सारे झंडे
    माना मिल भी जायेंगे
    अब साल भर स्वतंत्र
    हम कैसे रह पायेंगे?

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  5. आज की मानसिकता को चित्रित करती प्रभावी अभिव्यक्ति..

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  6. आपकी किसी पुरानी बेहतरीन प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार २८/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी मंगल वार को चर्चा मंच पर जरूर आइयेगा |धन्यवाद

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  7. बहुत सटीक चित्रण ! इतना बड़ा राष्ट्रीय पर्व, ख़ुशी का दिन , लेकिन लोगों में वो उत्साह और जज्बा नहीं दिखता . वो तो नन्हे-मुन्ने बच्चे ही हैं जो दिल से नारा लगाकर इस दिन की अहमियत को ज़िंदा रखते हैं.

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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