कुछ जल्दी हुयी
प्रभात फेरी की हुंकार भरते लोग
उसके बाद
लाइन से निकलते स्कूल के बच्चे
छोटे छोटे तिरंगे हाथों में लिए
टीचर जी हाथ में छडी लिए
लाइन ठीक करा रहे थे
मगर बच्चे तो
लाइन से भटक ही जाते है
चारो तरफ शोर था
इन्साफ की डगर पर
बच्चो दिखाओ चलके
ये देश है तुम्हारा
नेता तुम्ही हो कल के ....
भीड़ स्कूल पहुच गयी थी
नेताजी झंडा फहराने आने वाले थे
वे तीन घंटे लेट आये
आते ही बोले
बड़ा व्यस्त कार्यक्रम था
ये सातवा झंडा रोहण है
बच्चे चिल्ला रहे थे
जय हिंद
भारत माता की जय
नेता जी चले गए थे
किसी और झंडा रोहण में
बच्चे लड्डू के लिए
लाइन में लगे थे
...
वो उधर पार्क में
उधर चौराहे पर भी
एक और झंडा रोहण में नेताजी का इंतज़ार है
लोग झुण्ड लगाये खड़े थे
भीड़ तो चौराहे पर भी नहीं है
लोग तो घर से निकलते ही नहीं
देश तो पातळ में जायेगा ही
इस रास्ट्रीय पर्व पर भी
कितने असंवेदनशील हैं लोग
अब देश का कुछ नहीं हो सकता
....
चौराहे पर केले बटे थे
पार्क में बर्फी
मगर भीड़ कही नहीं थी
शाम होने को आयी
पार्क का झंडा उतरने की
किसी को सुध नहीं थी
गलियों में
सड़क पर
बिखरे पड़े थे
सुबह तक जो हाथों में थे
नन्हे तिरंगे
स्वतंत्रता दिवस जिन्दाबाद
भारत माता की जय
वन्दे मातरम्
..
कुश्वंश
……………स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंसोचने पर मजबूर करते हैं ऐसे दृश्य और ऐसी घटनाएं...
जवाब देंहटाएंजाने हम कब सुधरेंगे....
बढ़िया रचना...
फिर भी शुभकामनाएं देती हूँ पर्व की.....जिसकी वाकई ज़रूरत है हम सभी को.
सादर
अनु
विडम्बना को रेखांकित करती सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंसादर।
स्वतंत्रता दिवस जिन्दाबाद
जवाब देंहटाएंकुश्वंश
अनुभूतियों का आकाश
बहुत सुंदर !!
रोज प्रभात फेरी बताइये
हम कैसे लगायेंगे
इतने सारे झंडे
माना मिल भी जायेंगे
अब साल भर स्वतंत्र
हम कैसे रह पायेंगे?
आज की मानसिकता को चित्रित करती प्रभावी अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंआपकी किसी पुरानी बेहतरीन प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार २८/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी मंगल वार को चर्चा मंच पर जरूर आइयेगा |धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक चित्रण ! इतना बड़ा राष्ट्रीय पर्व, ख़ुशी का दिन , लेकिन लोगों में वो उत्साह और जज्बा नहीं दिखता . वो तो नन्हे-मुन्ने बच्चे ही हैं जो दिल से नारा लगाकर इस दिन की अहमियत को ज़िंदा रखते हैं.
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