महेश कुशवंश

23 फ़रवरी 2012

आफ्सीन.....रिश्ते


वो पल
जो हसीन होते हैं,
वो बहुत
नामचीन होते है,
ढूंढ कर लाओ,
तलाशों,
रोशनी के चिराग,
कोशिश करो दोस्त,
ये बहुत
खुर्दबीन होते है,
सोचता हूँ के
कह दूं
अंतर में धसे
निरे शब्द,
यूं तो ये रिश्ते भी
सब
तमाशबीन होते है,
अमराईयों में भी  आजतक
चिपके है
हुलसे हुए दिल,
सच में
कुछ रिश्ते तो
बेहद
निरीह, दीन होते हैं,
सोचता हूँ तो
बहुत दूर तलक जाता हूँ,
लौटता हूँ तो  फकत
नाम भूल जाता हूँ,
तुमने ढूंढें थे जो रिश्ते
सड़क में
गलियों में,
कितने भी मजबूत हों मगर  
सब आफ्सीन  होते है .

-कुश्वंश


21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ..
    सच बात कही एकदम..
    सादर.

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  2. बहुत ही सुंदर भाव संयोजन ....

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  3. एकदम सही बात कही है आपने..
    बहूत हि बेहतरीन रचना है..

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  4. रिश्तों पर कवि-दृष्टि है, विश्लेषण अति गूढ़ ।

    ये नाजुक सबके लिए, हो ग्यानी या मूढ़ ।।


    दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
    http://dineshkidillagi.blogspot.in

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  5. रिश्तों के कई प्रकार दिखा दिए . बहुत बढ़िया .

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  6. कोमल भावो की अभिवयक्ति......

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  7. ये रिश्ते फिर भी नमकीन होते हैं,भावों से परिपूर्ण रचना.

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  8. तुमने ढूंढें थे जो रिश्ते
    सड़क में
    गलियों में,
    कितने भी मजबूत हों मगर
    सब आफ्सीन होते है .

    रिश्तों के गणित को सुलझाती हुई अच्छी रचना।

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  9. रिश्तों का अच्छा विश्लेषण

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  10. तुमने ढूंढें थे जो रिश्ते
    सड़क में
    गलियों में,
    कितने भी मजबूत हों मगर
    सब आफ्सीन होते है .

    ....रिश्तों का सच...बहुत सटीक अभिव्यक्ति..

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  11. अच्छी रचना,अच्छा विश्लेषण,कोमल भावो की अभिवयक्ति......

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  12. सोचता हूँ के
    कह दूं
    अंतर में धसे
    निरे शब्द,
    यूं तो ये रिश्ते भी
    सब
    तमाशबीन होते है,

    बहुत खूब.....

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत दूर तलक जाता हूँ,
    लौटता हूँ तो फकत
    नाम भूल जाता हूँ,
    तुमने ढूंढें थे जो रिश्ते
    सड़क में
    गलियों में,
    कितने भी मजबूत हों मगर
    सब आफ्सीन होते है .
    bahut sunder
    rachana

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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