छब्बीस दिसंबर की रात
रात के दो बजे
अन्ना का मोबाइल बजता है
दिल्ली आ जाईये
टीम अन्ना को भी साथ लाईये
जरूरी बात है
दरवाजे पर हैलीकोप्टर खड़ा है
जैसे है सीधे चले आईये
पर मीडिया को मत बताईये
देश के बारे में कुछ
अहम् निर्णय करने है
मैं सोनियां बोल रही हूँ
राहुल भी यूं पी से लौट आये है
घर में हैं
अन्ना घबरा जाते है
दल बल के साथ दिल्ली चले आते है
सोनिया अगवानी को तैयार है
अन्ना को पहला लोकपाल बनाना है
केजरीवाल को सीबीआई हैड
शांति भूसन को अटोर्नी जर्नल
प्रशांत भूसन चीफ जस्टिस
बाकी और जिसे भी जहाँ अन्ना चाहे
कल संसद में
अन्ना लोकपाल बिल पास होगा
और परसों बाकी पूरी नियुक्ति
बस ये अग्रीमेंट साइन करना होगा
मेज पर पेपर पड़ा था
अन्ना मुस्कुराये
केजरीवाल शर्माए
किरण बेदी जोश में
प्रशांत भूषन होश में
टीम अन्ना ने कंधे उचकाए
अन्ना साइन करने आगे आये
कागज पर क्या लिखा था ?
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सुबह का सूरज एक नयी तरह से
उग रहा था
लाखों की भीड़ जुट रही थी
रामलीला मैदान भर चुका था
तिरंगा लपेटे पूरा देश खड़ा था
वन्दे मातरम से दिशाए गूँज रही थी
देश भक्ति के नारों से
युवाओं का खून उबल रहा था
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शाम हो रही थी
अन्ना का मंच खाली था
न अन्ना
न अन्ना टीम
भीड़ सकते में थी
मीडिया अफवाहें फैला रहे थे
संसद में अन्ना लोकपाल बिल
पास हो गया था
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रात के दस बज रहे थे
भीड़ घरों को लौट रही थी
राम लीला मैदान में सब तरफ
तिरंगे बिखरे पड़े थे
सडको पर अन्ना टोपी
कुचलते निकलते जा रहे थे लोग
कड़ाके की ठण्ड थी
दांत बज रहे थे
हड्डियाँ चटक रही थी
लोग हारे हुए जुआरी की तरह
ठगे से थे
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सुबह हो रही थी
सोनिया आदिवासिओं संग नाच रही थी
राहुल किसी हरिजन के घर
चाय पी रहे थे
और हाथी पर सवारी को तैयार थे
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हां जिस पर सब चुप थे
वो था
कालाधन
लोकपाल
भ्रस्ताचार
अन्ना और
केज़रीवाल
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पिछले साठ सालों से यही हो रहा था
सब कुछ चरमोत्कर्ष पर
खो जाता था
ठगे जाते थे
इस बार फिर ठगे जायेंगे क्या ?
क्योकी देश की जनता को कई बार
ठगे जाने का पुराना अनुभव है .....
-कुश्वंश
अब तक जो होता आया है उस आधार पर अच्छी प्रस्तुति ... ऐसा शायद अन्ना नहीं करेंगे ..
जवाब देंहटाएंyahi hota raha hai, yahi hota rahega ...
जवाब देंहटाएंbahut achchi prastuti ya poorvabhaas bhagvaan kare yeh sach na ho.aapki is rachna ko main facebook par dal rahi hoon sabko aage share karne ke liye kahungi.
जवाब देंहटाएंआपकी शंका जायज़ है ।
जवाब देंहटाएंलेकिन ऐसे आसार तो नज़र नहीं आ रहे हैं ।
कुछ तो साकारत्मक होकर रहेगा --इस बार ।
शुभकामनायें ।
सम सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंबधाई
चिन्ता न करें इस बार ऐसा नही होगा।
जवाब देंहटाएंसामयिक चिंतन.... राजनीति में कुछ भी संभव हैं....
जवाब देंहटाएंपर उम्मीद करें इस बार ऐसा न हो...
सादर
वैसे लोकपाल के आने पर भी किसी चमत्कारिक परिवर्तन की संभावना कम है क्यूंकि ये भी एक व्यवस्था ही तो है । परिवर्तन धीरे धीरे आएगा । हमें आशावान रहना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ... सच को तौलती हुयी ...बहुत अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंMy Blog: Life is Just a Life
My Blog: My Clicks
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यार्थार्थ को दर्शाती अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंजब तक सुधारवाद में फंसे रहेंगे ऐसे ही ठगे जाएंगे|
जवाब देंहटाएंसुधार नहीं, परिवर्तन चाहिए|
अन्ना इतनी बार ठगे जा चुके हैं, फिर से उसी के आसार हैं|
हिम्मत न हारिये बिसारिये न राम ! कांग्रेस की तुच्छ चालें बे-पर्दा हो चुकी हैं ! हर बार चाल सीधी नहीं पड़ेगी ! अंततः विजय तो सत्य की ही होगी !
जवाब देंहटाएंसार्थक व सटीक लेखन ।
जवाब देंहटाएंइस बार ऐसा न हो ,इस बार जनता ठगी न जाए ,हमलोग तो ऐसी ही उम्मीद रखते हैं .....आगे देखते हैं क्या होता है ?
जवाब देंहटाएंकुश्वंश जी एक बार तो सच लगीं आपकी बातें
जवाब देंहटाएंफिर सोचा यह सपना है.
काश! यह सच न हो
अन्ना हमारा मार्ग दर्शन करते रहें,यही आशा है.
पर राजनीति की चाल भी निराली होती है
झूँठ भी सच और सच भी झूंठ नजर आने लगता है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार जी.