महेश कुशवंश

28 अक्तूबर 2011

दीपावली की शुभकामनाएं

इस छोर   से उस छोर तक 
उस पूरी लाइन में
जगमग करते
गली चौबारे
रोशनी और पटाखों से
खिलखिलाते बचपन
दीपावली की शुभकामनाएं 
एक दुसरे को बांटते शब्द 
उस घर से दूर थे क्या ?
रौशनी का एक दिया भी नहीं 
अचानक 
एक हाँथ में दिया लेकर 
दादा 
दोमंजिले पोर्च में आते है 
औए एक दिया लेकर
दादी  नीचे  नज़र आती है  
में पत्नी संग 
उन्हें शुभकामनाये देने जाता हूँ 
वो दरवाज़ा नहीं खोलते 
में  दरवाजा दो तीन बार खटखटाकर लौट आता हूँ 
और शुभकामनाओं के आदान प्रदान के साथ
सो जाता हूँ 
सुबह सुबह 
दादा दादी को  दरवाजे पर देख कर
चौंक जाता हूँ 
इससे पहले में   कुछ बोलूँ
वो कल के लिए माफी मांगते है 
बेटा बड़ी भारी हो जाती है  दीवाली
जब लोग पूछते है 
कोई बेटा नहीं आया
त्यौहार में भी 
हम बेटों की मजबूरी समझते है 
लोग नहीं समझते
और हम किस किस को  बेटों की मजबूरियां गिनाये 
लोग  शुभकामनाओं से पहले 
सवाल करते है 
जिसका कोई जवाब नहीं होता 
भरी आँखों से वे हमें
आशीर्वाद देकर चले गए 
हम दीवाली के इस आदान प्रदान  पर 
बुझे हुए दिए हो गए थे 
जलते हुए भी  .

-कुश्वंश
 

18 टिप्‍पणियां:

  1. सोचने पर मजबूर करती रचना ..!

    जवाब देंहटाएं
  2. रवि को रविकर दे सजा, चर्चित चर्चा मंच

    चाभी लेकर बाचिये, आकर्षक की-बंच ||

    रविवार चर्चा-मंच 681

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति , बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  4. सोचने को मजबूर करती रचना।

    जवाब देंहटाएं
  5. बुजुर्गों की व्यथ समझनी चाहिए ....लेकिन वे दिए बुझे हुए नहीं थे....रौशन रहेंगे सदा ऐसे दिए....किवाड़ न खुले तो क्या ..... उनकी भी व्यथा कम नहीं...

    जवाब देंहटाएं
  6. इस व्यथा के प्रति हम संवेदनशील हों....

    जवाब देंहटाएं
  7. यह भी एक व्यथा है ।
    वैसे बच्चे न आयें तो बड़ों को बच्चों के पास चले जाना चाहिए ।
    शुभकामनायें ।

    जवाब देंहटाएं
  8. खुशुयाँ बांटने का त्यौहार है दिवाली और इसे बुजुर्गों के साथ मनाने से खुशी और बड जाती अहि ...

    जवाब देंहटाएं
  9. मार्मिक पंक्तियां।
    चार पैसा कमाते ही बेटों की नजरें बदल जाती हैं।

    जवाब देंहटाएं
  10. मार्मिक रचना... आजकल तो घर-घर की यही कहानी है... अंतहीन कहानी

    जवाब देंहटाएं
  11. विचारोत्प्रेरक रचना...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  12. कुश्वंश जी नमस्कार, बड़ी बात आपने रचना के माध्यम से उकेर दी है। मेरे ब्लाग पर भी आपका स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  13. हम दीवाली के इस आदान प्रदान पर
    बुझे हुए दिए हो गए थे
    जलते हुए भी .

    ...बहुत मार्मिक प्रस्तुति...हम अपने बुजुर्गों के प्रति इतने संवेदनहीन क्यों हो गये हैं...

    जवाब देंहटाएं
  14. सुन्दर हृदयस्पर्शी व प्रेरणादायक प्रस्तुति.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,कुश्वंश जी.
    आपका इंतजार है.

    जवाब देंहटाएं

आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

हिंदी में