महेश कुशवंश

24 अक्तूबर 2011

दीवाली के दिए



दीवाली के दिए
जलो निरंतर
जलना होगा
मन में तन में 
नीरव वन में 
टिम-टिम  करते जलो 
फकत तुम्हें बस
जलना होगा 
फ़ैल रहा है बस तम ही तम 
भ्रमित हुआ है  निर्मल मन 
डरते मन में  चमक  बिखेर कर जलना होगा
दिवाली के दिए 
निरंतर जलना होगा
पत्ती पत्ती  डाली डाली 
धूमिल है फूलों  की लाली
इन्द्रधनुष के रंग हुए बेरंग
रौशनी हो गयी  काली
कण कण में 
अंतर अंतर  में 
पुनः  रोशनी भरना होगा 
दीवाली के दिए
निरंतर जलना होगा
गली, चौबारे, महल, अटारी 
फूश झोपड़ी रहे न काली  
उजली उजली  चमक बिखेर बस  जलना होगा  
दीवाली के दिए  
तुम्हे बस
जलना होगा  
जलना होगा  .

-कुश्वंश 

(सभी सहृदय जनों एवं ब्लॉगर मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये  -कुश्वंश )
 

17 टिप्‍पणियां:

  1. बस तुम्‍हें जलना होगा ..
    .. दीपावली की शुभकामनाएं !!

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  2. दीवाली के दिये का प्रारब्ध भी जलना है और प्रकृति भी.यदि दीप नहीं जलेगा तो दीवाली कैसे मनेगी.

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  3. गली, चौबारे, महल, अटारी
    फूश झोपड़ी रहे न काली
    उजली उजली चमक बिखेर बस जलना होगा
    दीवाली के दिए
    तुम्हे बस
    जलना होगा

    बहुत सुंदर ....दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं ..

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना... शुभ दीपावली.....

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  5. सुंदर कविता, सुंदर भाव।
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. दीपावली की मुबारक और शुभकामनाएँ!

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  7. कण कण में
    अंतर अंतर में
    पुनः रोशनी भरना होगा
    दीवाली के दिए
    निरंतर जलना होगा

    बहुत ही अच्छा संदेश दिया है सर!

    आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

    सादर

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  8. जलना होगा
    जलना होगा ....दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  9. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति………………दीपावली पर्व पर आपको और आपके परिवारजनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

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  10. अति सुन्दर....** दीप ऐसे जले कि तम से संग मन को भी प्रकाशित करे ***शुभ दीपावली **

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  11. बहुत सुन्दर...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  12. सार्थक सकारात्मक रचना .
    दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें कुश्वंश जी .

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  13. सार्थक रचना, सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.

    समय- समय पर मिली आपकी प्रतिक्रियाओं , शुभकामनाओं, मार्गदर्शन और समर्थन का आभारी हूँ.

    "शुभ दीपावली"
    ==========
    मंगलमय हो शुभ 'ज्योति पर्व ; जीवन पथ हो बाधा विहीन.
    परिजन, प्रियजन का मिले स्नेह, घर आयें नित खुशियाँ नवीन.
    -एस . एन. शुक्ल

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  14. .

    कुश्वंश जी ,
    अति उत्कृष्ट इस सार्थक रचनाके लिए आभार। कविता में निहित सन्देश से मागदर्शन हो रहा है। प्रकाश-पर्व प़र आपको सपरिवार ढेरों शुभकामनाएं।

    .

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  15. बहुत ही सुन्दर और उत्कृष्ट प्रस्तुति है आपकी.

    दीपावली गोवर्धन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा कुश्वंश जी.

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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