जब कभी भी
पलट जाते है
जिन्दगी के पन्ने
आ जाती है खुशबू
भीनी भीनी
वो,
जो तुम्हें सबसे अलग करती थी
मह्शूश होने लगती है
वही
रेशम सी कोमल
स्पर्श की सिहरन
और मैं पहुच जाता हूँ
उस पड़ाव पर
जहाँ से प्यार के सारे रास्ते
स्पस्ट नज़र आने लगते है
खुलने लगते है
बहुत से क्षितिज
प्यार के
मनुहार के
तुम्हारे मुह फेरने के
भाग कर , पास आने के
परदे की ओट से मुस्कुराने के
तुम्हारे स्कूल के सामने इंतज़ार के
शहर के दुसरे कोने में
बने पार्क की बेंच में
धुंधलके में भी कुछ और ठहर जाने के
और आज जब तुम
यही आस-पास बिखेरती हो
प्यार की सरिता
अभावों की गर्दिश से निकलकर
सम्रद्धि के सागर में
सम्पन्नता के
तारों भरे आकाश में भी
वो खुशबू क्यों नहीं मिलती
जो
कभी कभी
मिल जाती है
अपने ही अंतस में
वो संगीत क्यों नहीं बजता
जिससे सिहर उठता था रोम-रोम
आओ एक बार फिर तलाश लें
वही जमीन
वही तारों भरा आकाश
वही चाँद सितारे तोड़ लाने की बात
वही अपनी ही श्वांशों से अन्विज्ञ
संभावना संसार
वही मधुप-मधु
क्यों ? ठीक है ना ....
-कुश्वंश
आओ एक बार फिर तलाश लें
जवाब देंहटाएंवही जमीन
वही तारों भरा आकाश
bahut sunder...
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंअति सुंदर, मजा आ गया,
जवाब देंहटाएंसाभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई ||
आओ एक बार फिर तलाश लें
जवाब देंहटाएंवही जमीन
वही तारों भरा आकाश....
वाह! बहुत बढ़िया प्रस्तुति...
सादर...
कुछ 'यादें' बहुत सुकून देती हैं ....???
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
अति सुन्दर ..सम्भावना संसार ...बनी रहती है आस..
जवाब देंहटाएंकोमल भावों को समेटे अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआओ एक बार फिर तलाश लें
जवाब देंहटाएंवही जमीन
वही तारों भरा आकाश
वही चाँद सितारे तोड़ लाने की बात
वही अपनी ही श्वांशों से अन्विज्ञ
संभावना संसार
वही मधुप-मधु
क्यों ? ठीक है ना ....
bahut hi badhiyaa
आह! बहुत सुन्दर चाहत है।
जवाब देंहटाएंयादें हमेशा वर्तमान से ज्यादा सुहानी लगती हैं ।
जवाब देंहटाएंकोमल अहसास लिए सुन्दर रचना ।
बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंआओ एक बार फिर तलाश लें
जवाब देंहटाएंवही जमीन
वही तारों भरा आकाश
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
बहुत सुन्दर लिखा है आपने, बधाई हो !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत पोस्ट!
जवाब देंहटाएंसादर
सुनीता जी ने चहरे से आपको दलीपकुमार बताया
जवाब देंहटाएंपर कविता से तो आप गुलजार लगते हैं कुश्वंशजी.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
प्यार के
जवाब देंहटाएंमनुहार के
तुम्हारे मुह फेरने के
भाग कर , पास आने के
परदे की ओट से मुस्कुराने के
तुम्हारे स्कूल के सामने इंतज़ार के
शहर के दुसरे कोने में
बने पार्क की बेंच में
धुंधलके में भी कुछ और ठहर जाने के
Wah !!! kya baat hai !!!
www.poeticprakash.com
bhawbini......
जवाब देंहटाएंसुंदर बीती यादें जीने की ख्वाइश ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ...
शुभकामनायें.
Har mann ki aapbeeti.. prem ki umar sach me badi chhoti...
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