महेश कुशवंश

1 अक्तूबर 2011

बापू तुम्हे प्रणाम ..





बापू ...!
तुमने तो कहा था 
देश आज़ाद होगा 
हम आज़ाद होंगे 
राम राज्य आएगा 
तुम्हारी लंगोटी और स्वराज्य का अर्थ 
समझा जाएगा 
तुम्हारी लाठी 
सहारा बनेगी 
तुम्हारी घड़ी 
समय का मूल्य और  अर्थ बताएगी 
दलितों के प्रति तुम्हारी संवेदना 
वास्तविक आकार लेगी 
वैमनस्यता की जमी धुल पोंछेगी
वोटों का सरकारी  बैंक  नहीं बन जायेगी 
बकरी के घावों पर 
मिट्टी थोपने की 
तुम्हारी संवेदना 
कुछ तो अर्थ लेगी 
मगर आज़ाद होते ही 
निर्मूल्य हो गए तुम्हारे सन्दर्भ 
तुम्हारे रामराज्य के अर्थ 
लोग कहते है 
गोडसे बहुत दिनों से  अपनी गोली 
धो-पोंछ  रहा था 
आपके कहने पर 
क्योंकी आप कैसे देख सकते थे 
अपने राम राज्य की ह्त्या 
जीते जी 
नग्न आँखों से 
अपनों के ही हांथों 
गोडसे की गोली से आज़ाद हो कर 
बच गए तुम 
अपने राम राज्य की अर्थी को 
सार्वजनिक कंधा देने से 
बापू ..! 
नेपथ्य से  तुम्हारी विद्रूप्त हंसी  
किसी को तीर सी नहीं लगती
किसी को शर्मिन्दा नहीं करती 
काहे की शर्म..! 
मना तो रहे है तुम्हारा जन्म दिन 
सारा दिन
तुम्हारी समाधी पर  गायेंगे 
तुम्हारे भजन 
चीख-चीख कर करेंगे सार्वजनिक  उद्घोस्ना 
भरी सभा को समझायेंगे 
तुम्हारे आदर्श  
बकरी के घाव
दलित चेतना  का मर्म  
राम राज्य का शाब्दिक अर्थ 
तुम्हारी टोपी का वाद 
फिर झाड पोंछ कर बाहर लायेगे ...
हम फिर तुम्हारा 
जन्मदिन मनायेगे .. 
बापू अपनी समाधी पर मिलना जरूर 
हम आयेंगे ..
तुम्हारा जन्मदिन मनाने. 

-कुश्वंश 

19 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ी गहरी-गहरी बातें कह दी आपने, बुद्धिजीवियों के लिए !
    शुभकामनाएं!

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  2. नेपथ्य से तुम्हारी विद्रूप्त हंसी
    किसी को तीर सी नहीं लगती
    किसी को शर्मिन्दा नहीं करती
    काहे की शर्म..!
    मना तो रहे है तुम्हारा जन्म दिन
    सारा दिन...
    गहरा कटाक्ष और संवेदना...

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  3. बापू अपनी समाधी पर मिलना जरूर
    हम आयेंगे ..
    तुम्हारा जन्मदिन मनाने.

    बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ... ।

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  4. सही सामयिक पुकार --गाँधी जी के नाम ।

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  5. बहुत सच्ची बातें लिखी हैं आपने अपनी इस पोस्ट में अच्छा ही हुआ कि आज गाँधी जी हमारे बीच नहीं है वरना आज जो हालत है हमारे देश कि वो नहीं देख पाते। समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है। http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  6. बेहद गहन और सशक्त अभिव्यक्ति।
    ye bhi dekhiyega.......http://vandana-zindagi.blogspot.com

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  7. गहरी और अर्थपूर्ण रचना ..

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  8. आपकी खूबसूरत रचना के साथ प्रस्तुत है आज कीनई पुरानी हलचल

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  9. बहुत ही अच्छा लिखा है सर!

    सादर

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  10. अपनों के ही हांथों
    गोडसे की गोली से आज़ाद हो कर
    बच गए तुम
    अपने राम राज्य की अर्थी को
    सार्वजनिक कंधा देने से


    वर्तमान राजनीतिक दशा पर कटाक्ष करती शानदार रचना....

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  11. अत्यंत गहन विचारोत्प्रेरक रचना...
    बापू और शास्त्री जी को सादर नमन...

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  12. बापू की रामराज्य की कल्पना शायद कभी साकार नहीं हो पाएगी।
    विचारोद्वेलित करती रचना।

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  13. सटीक और सार्थक रचना...

    तुम्हारी समाधी पर गायेंगे
    तुम्हारे भजन
    चीख-चीख कर करेंगे सार्वजनिक उद्घोस्ना
    भरी सभा को समझायेंगे
    तुम्हारे आदर्श

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  14. अपनों के ही हांथों
    गोडसे की गोली से आज़ाद हो कर
    बच गए तुम
    अपने राम राज्य की अर्थी को
    सार्वजनिक कंधा देने से
    बापू ..!

    ....बहुत सटीक कथन...कितना दुःख होता होगा उनकी आत्मा को आज़ादी का आज का रूप देख कर...बहुत मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति..

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  15. बेहद गहन और सशक्त अभिव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं

आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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