महेश कुशवंश

6 सितंबर 2011

अंतर्द्वंद




मेरे सपने 
कभी घेरते है मुझे 
खुली आँखों से 
और मैं अंतर नहीं कर पाता
सच की सीमा रेखा 
और असत्य के प्रलोभन में 
कौन है जो मुझे
अंधेरों में ले जायेगा 
और
प्रफुल्लित होने की प्रक्रिया समझाकर 
रोना सिखाएगा 
कही दूर तक 
बंधे होंगे वक्त के हाँथ 
कीलों से जड़े
फिर खड़े  होंगे ईशा मशीह 
कर्ण के बचाव में 
रथ के पहिये  नहीं आयेंगे काम 
कानिस्ट के हांथों 
धर्माधिकारी की सह पर 
प्राण गवाने को मजबूर
नाजायज कर्ण
सदियों तक रहेगा अपमानित
विभीषण बताएँगे
रावन को संघारने का मंत्र
और राज्यभिशेख की सीढियां जा चढ़ेंगे
सुग्रीव छल से
बाली को छलेंगे, और
राज्य को अपने नाम करेंगे
भगवान् बुध्ध को नहीं होगी ममता
राहुल की
विश्व भर में  इतने धर्मावलम्बी
उन्हें भगवान् तो बना ही देंगे
सत्य , सिर्फ  होता है सत्य
उसे समझने को
सपने नहीं देखने  होते
और  खुली आँखों से
सपने नहीं देखे जाते
और ना ही
अवतार  को किसी अवसर की तलाश होती है
वो तो ले लेता है जन्म
हमारी आपकी शक्ल में
अब ये तुम हो जो
समझने में भूल कर जाओ ...
उसे पहचान ही ना पाओ ......................?

-कुश्वंश



19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना| धन्यवाद|

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  2. सार्थक चिंतन मंथन ... गहन प्रस्तुति

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  3. विचारणीय मगर सत्य को दर्शाती रचना।

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  4. गहन भावों का समावेश...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  5. विचारणीय , गहन भावों कि अभिव्यक्ति .......

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  6. प्रिय बंधुवर कुश्वंश जी
    सस्नेहाभिवादन !


    अवतार को किसी अवसर की तलाश नहीं होती
    वो तो ले लेता है जन्म
    हमारी आपकी शक्ल में …


    अहाऽऽऽहा ! क्या बात कही है …
    मैं कह सकता हूं -मैं एक अवतार हूं …
    और … आप भी तो एक अवतार हैं …
    बहुत ख़ूब !

    गंभीर हो जाते हैं …
    वाकई हर शख़्स की अहमियत है …
    अनेकार्थ लिये' अच्छी रचना के लिए साधुवाद !


    आपको सपरिवार
    बीते हुए हर पर्व-त्यौंहार सहित
    आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  7. Nice .

    आपने हर विषय पर लिखा है परंतु ...

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  8. सत्य,सिर्फ होता है सत्य....कितना सही कहा,आपने...बढ़िया रचना हेतु बधाई स्वीकारें

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  9. गज़ब का बिम्ब प्रस्तुत किया है

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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