कभी घेरते है मुझे
खुली आँखों से
और मैं अंतर नहीं कर पाता
सच की सीमा रेखा
और असत्य के प्रलोभन में
कौन है जो मुझे
अंधेरों में ले जायेगा
और
प्रफुल्लित होने की प्रक्रिया समझाकर
रोना सिखाएगा
कही दूर तक
बंधे होंगे वक्त के हाँथ
कीलों से जड़े
फिर खड़े होंगे ईशा मशीह
फिर खड़े होंगे ईशा मशीह
कर्ण के बचाव में
रथ के पहिये नहीं आयेंगे काम
कानिस्ट के हांथों
धर्माधिकारी की सह पर
प्राण गवाने को मजबूर
नाजायज कर्ण
नाजायज कर्ण
सदियों तक रहेगा अपमानित
विभीषण बताएँगे
रावन को संघारने का मंत्र
और राज्यभिशेख की सीढियां जा चढ़ेंगे
सुग्रीव छल से
बाली को छलेंगे, और
राज्य को अपने नाम करेंगे
भगवान् बुध्ध को नहीं होगी ममता
राहुल की
विश्व भर में इतने धर्मावलम्बी
उन्हें भगवान् तो बना ही देंगे
सत्य , सिर्फ होता है सत्य
उसे समझने को
सपने नहीं देखने होते
और खुली आँखों से
सपने नहीं देखे जाते
और ना ही
अवतार को किसी अवसर की तलाश होती है
वो तो ले लेता है जन्म
हमारी आपकी शक्ल में
अब ये तुम हो जो
समझने में भूल कर जाओ ...
उसे पहचान ही ना पाओ ......................?
-कुश्वंश
विभीषण बताएँगे
रावन को संघारने का मंत्र
और राज्यभिशेख की सीढियां जा चढ़ेंगे
सुग्रीव छल से
बाली को छलेंगे, और
राज्य को अपने नाम करेंगे
भगवान् बुध्ध को नहीं होगी ममता
राहुल की
विश्व भर में इतने धर्मावलम्बी
उन्हें भगवान् तो बना ही देंगे
सत्य , सिर्फ होता है सत्य
उसे समझने को
सपने नहीं देखने होते
और खुली आँखों से
सपने नहीं देखे जाते
और ना ही
अवतार को किसी अवसर की तलाश होती है
वो तो ले लेता है जन्म
हमारी आपकी शक्ल में
अब ये तुम हो जो
समझने में भूल कर जाओ ...
उसे पहचान ही ना पाओ ......................?
-कुश्वंश
caro aur deep jal gaya
जवाब देंहटाएंचिंतनीय....
जवाब देंहटाएंsaarthak soch aur lekhan. shubhkaamnaayen Kushvansh ji.
जवाब देंहटाएंvery thoughtful post. Thanks Kushvansh ji.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना....
जवाब देंहटाएंसार्थक चिंतन मंथन ... गहन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंविचारणीय मगर सत्य को दर्शाती रचना।
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 08 -09 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज ... फ़ोकट का चन्दन , घिस मेरे नंदन
गहन भावों का समावेश...बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसार्थक विश्लेष्ण ...
जवाब देंहटाएंvicharniye rachna
जवाब देंहटाएंविचारणीय , गहन भावों कि अभिव्यक्ति .......
जवाब देंहटाएं♥
जवाब देंहटाएंप्रिय बंधुवर कुश्वंश जी
सस्नेहाभिवादन !
अवतार को किसी अवसर की तलाश नहीं होती
वो तो ले लेता है जन्म
हमारी आपकी शक्ल में …
अहाऽऽऽहा ! क्या बात कही है …
मैं कह सकता हूं -मैं एक अवतार हूं …
और … आप भी तो एक अवतार हैं …
बहुत ख़ूब !
गंभीर हो जाते हैं …
वाकई हर शख़्स की अहमियत है …
अनेकार्थ लिये' अच्छी रचना के लिए साधुवाद !
आपको सपरिवार
बीते हुए हर पर्व-त्यौंहार सहित
आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Nice .
जवाब देंहटाएंआपने हर विषय पर लिखा है परंतु ...
सत्य,सिर्फ होता है सत्य....कितना सही कहा,आपने...बढ़िया रचना हेतु बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंbahut khub ! bahut2 badhai..
जवाब देंहटाएंगज़ब का बिम्ब प्रस्तुत किया है
जवाब देंहटाएंअद्भुत चिंतन...
जवाब देंहटाएंसादर..