महेश कुशवंश

3 सितंबर 2011

उल्टी गंगा के देश में

                                   हमने कोई 
बड़ी बात की गुजारिस नहीं की 
ना ही कोई 
ना हो सकने वाली बात 
हमने तो सामने ला दी वो 
जो 
तुम्हारे मन में छिपी बैठी थी
सदियों से 
और तुम लाचार 
कभी रिश्तों से
कभी रिश्तों को निबाहने की कशमकश से
स्वयं पर चढाते रहे 
मुखौटे दर मुखौटे
और जब  बदरंग हो गयी तुम्हारी पहचान 
तो तलासने लगे 
इसका-उसका कंधा 
जिसके आगोश में सर रखकर रो सको
ऐसे कि
सिसकियाँ भी सुन न सके कोई
आखिर तुम्हे मिल गया कंधा
और उस कंधे  को तुमने 
नदी बना डाला 
जिसका कोई बाँध ही न हो
ये जानते हुए कि
ये नदी बहती है उल्टी 
इसका नहीं है कोई भी समुद्र 
फिर भी तुमने भरोसा किया 
काश तुम्हारा भरोसा
तुम्हारे अंतर्मन की
परिणति हो
तुम्हारे हर संकल्प की
सद्गति हो.

-कुश्वंश 


(चित्र गूगल से साभार )


17 टिप्‍पणियां:

  1. एक कंधे की तलाश तो सभी को रहती है।

    प्रभावी कविता।

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  2. काश तुम्हारा भरोसा
    तुम्हारे अंतर्मन की
    परिणति हो
    तुम्हारे हर संकल्प की
    सद्गति हो.
    bas kaash ...

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  3. अंतर मन की व्यथा को परिभाषित करती खूबसूरत रचना |

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  4. आदरणीय कुश्वंश जी अभिवादन ..सार्थक रचना सुन्दर मूल भाव ..कब ये गंगा सीधी बहना शुरू करेगी ....सुन्दर पंक्तियाँ सन्देश देती
    आभार


    ये जानते हुए कि
    ये नदी बहती है उल्टी
    इसका नहीं है कोई भी समुद्र
    फिर भी तुमने भरोसा किया
    काश तुम्हारा भरोसा
    तुम्हारे अंतर्मन की
    परिणति हो
    तुम्हारे हर संकल्प की
    सद्गति हो.

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  5. क्या बात है ,प्रभावशाली रचना

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||

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  7. कभी रिश्तों को निबाहने की कशमकश से
    स्वयं पर चढाते रहे
    मुखौटे दर मुखौटे
    और जब बदरंग हो गयी तुम्हारी पहचान
    तो तलासने लगे
    इसका-उसका कंधा....

    सार्थक, चिंतनशील कविता....
    सादर...

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  8. मन के भाव खूबसूरती से लिखे हैं ..सुन्दर रचना

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  9. अंतर मन की व्यथा को परिभाषित करती खूबसूरत रचना |

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  10. मर्म की गंगोत्री से निकली नदी इसी काश पर आकर ठहर जाती है.भावमयी कृति.

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  11. Bahut gahri Bhivaykti hai is racna men...mere blog par aane ka aabhar...
    (han dard ya kasha soti hi rahti to kitna acha hota...or re jeevan men na hota to jeevan kuch or hi hota..)

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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