जाग रहा है देश
अभी तक
नहीं मरा है
एक नए गांधी के पीछे
युवा खड़ा है
समझ रहे हो ....
तनी मुट्ठियों की परिभाषा
जान गए हो....
युवा शक्ति की व्यापक भाषा
दिल्ली से कश्मीर
वहाँ से कन्याकुमारी
सुलग रही है आग
हुआ है सीना भारी
एक नए भारत की मन में
फिर तस्वीर बसाकर
जन गन मन में
फिर आशा की ज्योति जगाकर
प्रजा शक्ति से
जन प्रतिनिधि की भाषा बदली
सांसदों ने भी मशाल की
आंच परख ली
रुको नहीं अब
अभी दूर तक चलना होगा
बुझे नहीं चिंगारी
तुम्हे समझना होगा
आधी जीत , अधूरे सपने
रहे अधूरे अगर थके तुम
झंडे लेकर चलते रहना
रुके न अब जो बढे कदम
जाने विश्व ,
परख ले दुनियां
बिना रक्त के संभव क्रांति
भारतवर्ष अग्रणी हरदम
जन आन्दोलन,
अद्भुत शांति.
-कुश्वंश
बहुत सुन्दर सामयिक प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबेशक यह तो शुरुआत है । लड़ाई अभी लम्बी है ।
देश को शुभकामनायें ।
kuch to jaaga hai... jaagta hi rahe
जवाब देंहटाएंरुको नहीं अब
जवाब देंहटाएंअभी दूर तक चलना होगा
बुझे नहीं चिंगारी
तुम्हे समझना होगा
आधा रास्ता तय हुआ है, बाकी को भी पूरा करना है।
यह चिंगारी न बुझे, यही कामना है।
प्रेरक रचना के लिए बधाई।
सुन्दर सन्देश देती हुई प्रेरक रचना के लिए आपको बधाई.
जवाब देंहटाएंजाने विश्व ,
जवाब देंहटाएंपरख ले दुनियां
बिना रक्त के संभव क्रांति
भारतवर्ष अग्रणी हरदम
जन आन्दोलन,
अद्भुत शांति.
सुन्दर, सार्थक रचना...
सादर बधाई...
कहते हैं न अभी तो ये अंगड़ाई है आगे और लड़ाई है... जीत अभी अधूरी है, इसे पूरा करना ही होगा...सन्देश देती हुई प्रेरक रचना के लिए आपका बहुत बहुत आभार...
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 29-08-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंप्रेरक संदेश देती सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंजिस क्रान्ति से अत्याचारियों को कतई भय न हो... वह क्रान्ति हमेशा छली जाती है.
जवाब देंहटाएंजिस तलवार में धार न हो वह केवल बालकों को डराने के काम आ सकती है... उस तलवार से अनुभवी शैतानों से लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती.
...... एक बात सोचिये कि कभी कोई शराबी ... शराबबंदी आन्दोलन का मन से समर्थन करेगा?... उसके खिलाफ क़ानून बनाने में पुरजोर कोशिश करेगा?.. हाँ, मजबूरी में एक्टिंग जरूर कर ले...
किन्तु न शराब पीना छोड़ेगा और न ही उसका विरोध पसंद करेगा...
हमें दशहरे पर रावण के पुतले जलाने की आदत पड़ गयी है मतलब बिना रक्त की क्रान्ति की ... किन्तु आज़ ऐसा माद्दा नहीं रहा कि नवीन रावणों का वध कर पायें... देव 'राम' के प्रयासों से घृणा और राव 'किसन' जैसे अगुआ के हठयोग की सराहना.
अन्ना की इस लड़ाई में जमघट लगने के एकाधिक कारण थे....
जवाब देंहटाएंदूसरी बात,
जब प्राण-सुरक्षित गारंटी वाली क्रान्ति होती है तब तो बिल से वो चूहे भी बाहर आ जाते हैं जो कम्युनिस्ट विचारों के होते हैं मतलब अवसरवादी होते हैं. [वर्तमान में कम्युनिस्ट का अर्थ अवसरवादी के अधिक करीब है.]
.हम अन्ना जी को शत-शत नमन करते है जिन्होंने हमें हमारे अन्दर छिपी शक्ति से परिचित कराया....
जवाब देंहटाएंसमाज को एक सार्थक सन्देश देती है आपकी यह कविता. आभार.
जवाब देंहटाएंप्रेरक रचना के लिए आपको मेरी बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंयह शमा जलती रहे...
जवाब देंहटाएं------
कसौटी पर शिखा वार्ष्णेय..
फेसबुक पर वक्त की बर्बादी से बचने का तरीका।
प्रेरक रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंbahot achchi hai.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर, सार्थक प्रेरक रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंआधी जीत , अधूरे सपने
जवाब देंहटाएंरहे अधूरे अगर थके तुम ...
Very inspiring and motivating creation...
.
बहुत प्रेरक और प्रभावी प्रस्तुति..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआधी जीत , अधूरे सपने
जवाब देंहटाएंरहे अधूरे अगर थके तुम ...
बहुत ही अच्छी रचना ।
yahi to chaahiye, ki yuva varg jaage...
जवाब देंहटाएंयुवा खड़ा है
समझ रहे हो ....
तनी मुट्ठियों की परिभाषा
prerak rachna, shubhkaamnaayen.
बहुत उम्दा प्रेरक रचना....
जवाब देंहटाएंझंडे लेकर चलते रहना
जवाब देंहटाएंरुके न अब जो बढे कदम
जाने विश्व ,
परख ले दुनियां
बिना रक्त के संभव क्रांति
भारतवर्ष अग्रणी हरदम
जन आन्दोलन,
अद्भुत शांति.
bahut khoob
rachana
सत्य के मार्ग पर निर्बाध गति से चलने हेतु ऐसे ही प्रेरक गीत अनिवार्य होंगे.सार्थक व प्रेरक रचना.
जवाब देंहटाएंऐसे मौक़ों पर यह गीत मुझे बहुत याद आता है ...
जवाब देंहटाएंहम लाए हैं तूफ़ान से क़िश्ती निकाल कर कर ..
अब तो क़श्ती को आगे ले जाने का भार युवा कंधों पर है।
प्रेरणा भर देने वाली रचना.
जवाब देंहटाएंआधी जीत , अधूरे सपने
जवाब देंहटाएंरहे अधूरे अगर थके तुम .. ........ बहुत बढ़िया प्रस्तुति