हमें अहसास दिलाता है की
हमारे हिस्से में आये
अनगिनित कर्तव्यों को कैसे
और किन तराजुओं में तौलना है
गीता आज तक नहीं पढी मैंने
और पढी भी तो
शायद ही समझ आयी
तुम्हारे कुरुक्षेत्र में दिए उपदेश
तुम्हारा विराट स्वरुप
मेरे जेहन में रहता है हमेशा
तभी तो राह चलते चारो तरफ
कौरवों को ढूंढता रहता हूँ मैं
कही दुर्योधन
कही दुशाशन
और शकुनी
आस पास नज़र आते है मुझे
मगर मैं युधिस्ठिर
अपने साथ खड़े नहीं पाता
अर्जुन भीम नकुल सहदेव कोई भी
सब अलग अलग खेमो में चले गए
माँ कुंती
बारी बारी से आती है
हम सबके पास
आपसी सामंजस्य के तहत
द्रोपदी हंस कर प्रश्न करती है
मै किसकी पत्नी हूँ
और हममे से किसी के पास नहीं रहती
कृष्ण
द्रोपदी के प्रश्न का उत्तर तुम्हारे पास
न तब था न अब है
तुम्हारे उपदेशों के गूढ़ अर्थ
सारे गड्ड-मड्ड हो गए है
भौतिकी अलंकरण से सजकर
चमक तो रहे है मगर
अनर्थ का व्याकरण लिख रहे है
प्यार की तुम्हारी परिभाषाएं
अर्थ खोने लगी है
अमर्यादित हो गयी है
हे कृष्ण
जन्म लेकर किन हृदयों में बसोगे तुम
वहां तो पहले से ही
असंख्य कौरव
आसन जमाये बैठे है
मै युधिस्ठिर
अकेला मुह छिपाता
यहाँ वहाँ छिपता
कहा ढूंढोगे मुझे
हे द्वारिकाधीश !
मै ही आता हूँ तुमसे मिलने
पाताल में डूबी द्वारिका नगरी में
हे मुरलीधर !
तुम्हें जन्म लेना हो तो लो
पर मेरी राह मत देखना
बिलकुल मत देखना ..
-कुश्वंश
बेहतरीन रचना ... जन्माष्टमी के पावन पर्व की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसंक्रमण काल है ...भविष्य में अच्छे की कामना करते हैं !
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की शुभकामनायें आपको !
श्री कृष्ण के जन्म लेने की अभी सबसे ज्यादा ज़रुरत है ।
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की शुभकामनायें ।
बेहतरीन रचना....happy janmaastmi....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।
जन्माष्टमी की सादर बधाइयां...
जवाब देंहटाएंहे द्वारिकाधीश !
जवाब देंहटाएंमै ही आता हूँ तुमसे मिलने
पाताल में डूबी द्वारिका नगरी में
हे मुरलीधर !
तुम्हें जन्म लेना हो तो लो
पर मेरी राह मत देखना
बिलकुल मत देखना ..
haara hun, nirash nahi...
saarthak rachna, shubhkaamnaayen.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की शुभकामनाएं...