महेश कुशवंश

5 अगस्त 2011

प्रयास जरूरी है

कैसे होता है
कोई हृदय संवेदनहीन 
कैसे पड़ जाती  है खरोंचे  
रक्त के रिसने की हद तक
और हम पहुच  जाते है 
प्रागैतिहासिक युग में
आधुनिक युग के   हथियारों के साथ
और चाक कर देते हैं
हृदायिक संवेदनाओं के निलय
रिश्तों के  अर्थ
होने लगते है  बेमानी
निकृष्टतम   शब्दों की
खुल जाती है 
दुर्गन्धयुक्त पोटली
और कर देते है हम परिवेश को
दूषित-प्रदूषित
चीत्कार करने लगती है 
संस्कारों की  हमारी संस्कृति
क्यों नहीं समझ पाते
कुलीन होने का अर्थ 
सभ्य-अशभ्य का मर्म
शिक्षा कितनी और कैसी होनी चाहिए
उठने लगते है प्रश्न
साहित्य के आयाम क्या होने चाहिए 
और कैसे 
संस्कारित होने के लिए जरूरी है  साहित्य 
हर गली कूचे में 
नहीं हो सकते खाकी....
मगर हर घर में 
साहित्य हो सकता है 
अच्छे बुरे सोच को
बेहतर तरीके से समझाने वाली
पुस्तके हो सकती है 
और हो सकते है 
गीली मिट्टी को आकार देने वाले
शिक्षित ,संस्कारित  परिजन
तभी...  शायद...
गली कूचे को  प्रदूषित करते शब्द
कुरुक्षेत्र  की ध्वनियों  की तरह
नेपथ्य में खो जाये ..
क्या ये प्रयास   जरूरी नहीं  ?

- कुश्वंश

26 टिप्‍पणियां:

  1. बिलकुल सही कहा आपने प्रयास जरुरी है...

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  2. मगर हर घर में
    साहित्य हो सकता है
    अच्छे बुरे सोच को
    बेहतर तरीके से समझाने वाली
    पुस्तके हो सकती है

    बेहतरीन प्रस्तुति.
    मन अभीभूत हो गया पढकर.

    आभार.

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  3. बिना प्रयास तो कुछ नहीं होता....

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  4. तभी... शायद...
    गली कूचे को प्रदूषित करते शब्द
    कुरुक्षेत्र की ध्वनियों की तरह
    नेपथ्य में खो जाये ..
    क्या ये प्रयास जरूरी नहीं ?

    उम्दा सोच.... सच में प्रयास ज़रूरी है...

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  5. चाक कर देते हैं
    हृदायिक संवेदनाओं के निलय
    रिश्तों के अर्थ
    होने लगते है बेमानी
    निकृष्टतम शब्दों की
    खुल जाती है
    दुर्गन्धयुक्त पोटली
    और कर देते है हम परिवेश को
    दूषित-प्रदूषित.... bahut hi gahre bhaw

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  6. हर पंक्ति में गहन भावों का समावेश ...बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  7. हर गली कूचे में
    नहीं हो सकते खाकी....
    मगर हर घर में
    साहित्य हो सकता है
    अच्छे बुरे सोच को
    बेहतर तरीके से समझाने वाली
    पुस्तके हो सकती है
    और हो सकते है
    गीली मिट्टी को आकार देने वाले
    शिक्षित ,संस्कारित परिजन.....

    Rightly stated ! We need to implement such a beautiful suggestion ! Very inspiring and need of the hour.

    .

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  8. गीली मिट्टी को आकार देने वाले
    शिक्षित ,संस्कारित परिजन
    तभी... शायद...
    गली कूचे को प्रदूषित करते शब्द
    कुरुक्षेत्र की ध्वनियों की तरह
    नेपथ्य में खो जाये ..
    क्या ये प्रयास जरूरी नहीं ?

    बिलकुल सही कह रहे हैं सर प्रयास किए बिना हम कुछ प नहीं सकते।

    सादर

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  9. कुश्वंश जी,
    बेहतरीन अभिव्यक्ति ... कहीं-कहीं आप आक्रोश को दबाने की झलक भी दे रहे हैं . 'खाकी' ... के आगे सफ़ेद स्याही से लिखा 'कुत्ते' शब्द भी पढ़ गया.
    आपकी शैली घोर साहित्यिक है मतलब 'शालीन'

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  10. बिल्कुल जरूरी है…………शानदार प्रस्तुति।

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  11. यही प्रयास ज़रूरी है । लेकिन अफ़सोस दिन पर दिन ह्रास होता जा रहा है ।

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  12. बेहतरीन संदेश को समेटे हुये है आपकी रचना..

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  13. और चाक कर देते हैं
    हृदायिक संवेदनाओं के निलय
    रिश्तों के अर्थ
    होने लगते है बेमानी...

    शानदार ढंग से अभिव्यक्त सच्ची बात...
    सादर...

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  14. बहुत आवश्यक है यह ....हार्दिक शुभकामनायें !

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  15. सत्य वचन
    प्रयास जरुरी है...

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  16. हर गली कूचे में
    नहीं हो सकते खाकी
    मगर हर घर में
    साहित्य हो सकता है
    अच्छे बुरे सोच को
    बेहतर तरीके से समझाने वाली
    पुस्तके हो सकती है

    गहन भावनाओं और अर्थों से सजी एक सुंदर कविता।

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  17. कल 09/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  18. उम्दा सोच
    भावमय करते शब्‍दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।

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  19. संस्कारित होने के लिए जरूरी है साहित्य
    हर गली कूचे में
    नहीं हो सकते खाकी....
    मगर हर घर में
    साहित्य हो सकता है


    बहुत सार्थक और अच्छी सोच ....सुन्दर कविता ......

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  20. गली कूचे को प्रदूषित करते शब्द
    कुरुक्षेत्र की ध्वनियों की तरह
    नेपथ्य में खो जाये ..
    क्या ये प्रयास जरूरी नहीं ?

    सच में इस ओर कोई सार्थक पहल होनी चाहिये. अच्छी भावनाओ का प्रवाह करती सी लगी ये कविता.

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  21. और हो सकते है
    गीली मिट्टी को आकार देने वाले
    शिक्षित ,संस्कारित परिजन
    तभी... शायद...
    गली कूचे को प्रदूषित करते शब्द
    कुरुक्षेत्र की ध्वनियों की तरह
    नेपथ्य में खो जाये ..
    क्या ये प्रयास जरूरी नहीं ?


    सार्थक लेखन .. सच ही यह प्रयास ज़रुरी है ..अच्छी अभिव्यक्ति

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  22. सही कहा ...प्रयास तो परम आवश्यक है

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  23. मन को झंकृत कर देने वाली रचना.
    सधुवाद
    आनन्द विश्वास

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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