महेश कुशवंश

5 जुलाई 2011

समाधान की खोज !


न जाने कहाँ से उछलकर
एक पत्थर
मेरे माथे पर लगा
मुझे लहूलुहान कर गया
मैंने दूर तक देखा
पत्थर कहाँ से आया
समझ ही नहीं पाया
सड़क पर पड़े उस लावारिस
पत्थर के सिवा
मुझे कुछ नज़र नहीं आया
माथे पर चुहचुहा आये रक्त को भूलकर
मैं  जानना चाहता था
उस सजा का अपराध
तभी दूर दिखे
झाडिओं में छिपने का असफल प्रयास करते
कुछ बच्चे
जैसे ही मैंने उन्हें
खोज लिए जाने का संकेत दिया
वे न डरे , न सहमे
झट  से सामने आ गए
और
हमारे पूछने से पहले ही बोल उठे
हमने पत्थर मारा
हमने सोचा आप भिखारी है
वोट मांगने वाले
कुछ सालों पहले आये थे
और कैसे गिडगिडाये थे
उसके बाद आप नहीं मिले
हमारे घर जले
धरती कांपी
बाढ़ में बह गए हमारे बापू
आप कुर्सी से नहीं हिले
हम चीखते रहे तख्तियां लेकर
आप हमारे साथ नहीं चले
इसीलिये हमने पत्थर चलाये हैं
मै खुश था आश्वस्त भी
भावी पीढी समाधान की खोज में है
इसी प्रफुल्लित सोच ने
मेरा पत्थर से आहत होना
भुला दिया था .

-कुश्वंश
 

22 टिप्‍पणियां:

  1. हमने सोचा आप भिखारी है
    वोट मांगने वाले

    क्या बात .... आपकी रचनाएँ यथार्थ का प्रतिबिम्ब होती है .....

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत दूरगामी सोच । बेहतरीन ॥

    जवाब देंहटाएं
  3. भावी पीढी समाधान की खोज में है ||

    जवाब देंहटाएं
  4. इसीलिये हमने पत्थर चलाये हैं
    मै खुश था आश्वस्त भी
    भावी पीढी समाधान की खोज में है
    इसी प्रफुल्लित सोच ने
    मेरा पत्थर से आहत होना
    भुला दिया था .
    गहरे भावों से भरी रचना ...!

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह कितनी गहरी बात कह दी आपने...भावी पीढ़ी को तो अब समाधान ढूंढना ही पड़ेगा...
    आभार...

    जवाब देंहटाएं
  6. इसी प्रफुल्लित सोच ने
    मेरा पत्थर से आहत होना
    भुला दिया था .

    बिल्‍कुल सच कहा है आपने ।

    जवाब देंहटाएं
  7. काश असल में भी ऐसा हो ... इस बार पत्थर ही पड़ें ...

    जवाब देंहटाएं
  8. बस ये ही हो जाये तो क्या बात हो…………बहुत सुन्दर्।

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह क्या बात कही....

    मन को आशा के उमंग से भर दिया आपने...

    आस विस्वाश का संचार करती बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर रचना....

    जवाब देंहटाएं
  10. यह चेतना यदि जागृत हो जाये तो समाधान हो कर रहेगा.आपकी रचना में अभिनव संदेश समाहित है.

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही सुंदर आशा जगाती हुई रचना,
    आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  12. Outstanding creation ! Very inspiring and motivating as well. Our newer generation is aware and looking for solutions. A good omen indeed !

    जवाब देंहटाएं
  13. कुश्वंश जी,
    बढ़ी धारदार कविता लिखी है।

    हमने सोचा आप भिखारी है
    वोट मांगने वाले
    कुछ सालों पहले आये थे
    और कैसे गिडगिडाये थे
    उसके बाद आप नहीं मिले
    हमारे घर जले
    धरती कांपी
    बाढ़ में बह गए हमारे बापू
    आप कुर्सी से नहीं हिले

    जनता की व्यथा भी है,
    राजनीति पर कटाक्ष भी है।

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सटीक रचना..जब आज की पीढ़ी को भ्रष्टाचार से फ़ुरसत नहीं तो अगली पीढ़ी को आगे आकर पत्थर उठाना ही होगा..

    जवाब देंहटाएं
  15. वोट मांगकर भूल जाने वालों के मुहं पर करारा पत्थर मारा है आपने..काश यह आवाज सत्ताधारियों तक पहुँच पाती!

    जवाब देंहटाएं
  16. भावी पीढी ही समाधान खोजेगी। इस सार्थक रचना के लिए बधाई।

    ------
    TOP HINDI BLOGS !

    जवाब देंहटाएं
  17. बेहतरीन प्रस्तुती...
    आज की पीढ़ी को भ्रष्टाचार से फ़ुरसत नहीं जीवन के कटु सच को दिखने की....

    जवाब देंहटाएं
  18. अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

    जवाब देंहटाएं
  19. काश! ऐसा हो पाए.
    नई पीड़ी संतुलित और असरदार तरीके से एकजुट हो नाइन्साफी के विरुद्ध अपना विरोध प्रकट कर पाए.

    जवाब देंहटाएं

आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

हिंदी में