आज कुछ सपनो की बातें करते हैं
ऐसे सपनों की
जो हमेशा आँखों में रहते है
कभी ओझल नहीं होते
जागते हुए भी
उन्ही में एक सपना है
सफ़ेद उज्जवल कपड़ों में
बाँध कर बांश के दो डंडों में
एक हुजूम के हाथों हाथ
बाबूजी अमर रहे के नारों के साथ
धुएं में विलीन होती काया को
कपाल क्रिया कर
राख में बदल आया था मैं
और चुन लाया था अस्थियाँ भी
वही क्यों
यहाँ-वहां खड़े दिखते है मुझे
किया तो था मैंने
कर्मकांडी तर्पण
कर्मकांडी तर्पण
पुष्कर में पिंडदान भी
फिर क्यों
अतृप्त आत्मा की तरह
मेरे सपनों में
हकीकत से खड़े रहते है
कोई ज्योतिष
कोई बाबा
कोई तांत्रिक
पहेली को हल नहीं कर सका
किसी ने कहा
नहीं मिली मुक्ति
भटकती आत्मा है वो
स्वर्ग नहीं मिला उन्हें
कभी कभी सोचता हूँ मैं
बुजुर्ग माँ-बाप की पथराई आँखें
बुजुर्ग माँ-बाप की पथराई आँखें
मूंक, प्रश्न-रहित
संगिनी के सूख चुके आंशू
बिन ब्याही बेटी की चीख
बेटे की
खिलखिलाती बेटी की कूक
और निः:शब्द आसमान निहारता पुत्र
और निः:शब्द आसमान निहारता पुत्र
उन्हें आसपास ही
मडराने को मजबूर करते है सब
जीने की इच्छा लिए
जीने की इच्छा लिए
एक अतृप्त आत्मा को
कैसे मिल सकती है मुक्ति
और यही उत्तर है शायद जो
सपना होकर भी मेरी
दिनचर्या में बदल जाता है
और मैं
उनसे हल करवाता हूँ
जीवन के कठिन प्रश्न
और सो लेता हूँ चैन की नींद
और जब भी लोग समझते है
मुझ पर कोई वरदहस्त नहीं
मैं देखने लगता हूँ
फिर से
फिर से
हकीकत का
फिर वही सपना
खुली आँखों से
दिन मैं भी .
-कुश्वंश
बहुत मार्मिक रचना ...
जवाब देंहटाएंDIL KO CHOO GAEE AAPKI YE RACHNA. sAHEE HAI KI ITANE KAM ADHURE CHOOT JAYEN TO KAISE KOEE MUKT HO PAYEGA ? uSAKI ATMA TO BALBACHCHON KE PRASHN SULZATI HEE GHOOMATI RAHEGI.
जवाब देंहटाएंमन में उठते मनोभावों की सुन्दर अभिव्यक्ति है इस रचना में। जीवन के बहुत से प्रश्न मन को यूँ हो व्यथित करते हैं , इनके उत्तर नहीं होते किसी के पास। ऐसी ही परिस्थिति में काम आते हैं सपने । कभी नींद में देखे गए तो कभी जागती आँखों से। इन ख्वाबों में हम बुन सकते हैं उस सुनहली दुनिया को जैसा की हम देखना चाहते हैं इस दुनिया को ।
जवाब देंहटाएंमार्मिक भाव...... गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआज कुछ सपनो की बातें करते हैं
जवाब देंहटाएंऐसे सपनों की
जो हमेशा आँखों में रहते है
कभी ओझल नहीं होते... kya kahun , jane kitne khwaab yun hi tairte rahte hain
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
जवाब देंहटाएंभावुक कर देने वाली रचना....
जवाब देंहटाएंwell written........ very emotional !!!
जवाब देंहटाएंअद्भुत अभिव्यक्ति है| इतनी खूबसूरत रचना की लिए धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंकुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 15 दिनों से ब्लॉग से दूर था
जवाब देंहटाएंइसी कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका !
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंkushwansh ji,
जवाब देंहटाएंnihshabd ho gai rachna padhkar. bahut gahri aur bhaavpurn abhivyakti. badhai sweekaaren.
बेहद सुन्दर रचना पढ़ी.. सपनो की खुली आँख के... भावनाओं से भरपूर पंक्तिय दिल को छू जाति है... मेरे ब्लॉग में भी कुछ इस तरह की भावनाओं को लिए रचना है..मेरे ब्लॉग अमृतरस पर आपका स्वागात है |
जवाब देंहटाएंमार्मिक भाव ....... बेहद सशक्त अभिव्यक्ति ......
जवाब देंहटाएंआज कुछ सपनो की बातें करते हैं
जवाब देंहटाएंऐसे सपनों की
जो हमेशा आँखों में रहते है
कभी ओझल नहीं होते.
ye sahi shayad bahut se logon ka sach hai .
bahut marmik kavita
badhai
rachana
बहुत ही मार्मिक रचना है,
जवाब देंहटाएंसाभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
हम्म...मार्मिक अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना, बधाई।
जवाब देंहटाएंउनसे हल करवाता हूँ
जवाब देंहटाएंजीवन के कठिन प्रश्न
और सो लेता हूँ चैन की नींद
और जब भी लोग समझते है
मुझ पर कोई वरदहस्त नहीं
मैं देखने लगता हूँ
फिर से
हकीकत का
फिर वही सपना
खुली आँखों से
दिन मैं भी .
bahut khoobsurat rachna,gahan chintan liye hue...
"yunhi kat jaati hai ye zindagi
kabhi prashn hal karte hue
kabhi sapne dekhte hue
kabhi hakeekat me jeete hue!
हमारे अपने हमेशा हमारे साथ रहते हैं।
जवाब देंहटाएंजीवन भर भी और जीवन के पश्चात स्मृतियों के रूप में भी।
बढ़िया रचना।
फिर वही सपना
जवाब देंहटाएंखुली आँखों से
दिन मैं भी||
बढ़िया ||