शाम का वक्त है
एक डुगडुगी बजती है
आननफानन बच्चे भागते है
मैदान में मजमा लगा है
डुगडुगी बजाता एक दो फुटा आदमी
पांच फुटी लड़की के कंधे पर चढ़ा हैभाइयो-बहनों
आओ-आओ खेल देखो
एक गायब होती लड़की
एक बन्दर कैसे बन जाता है आदमी
एक आदमी क्यों हो जाता है बन्दर
एक पेड़ कैसे रोता है दूध के आंसू
एक रोटी कैसे छिन जाती है भिखारी की
एक भिखारी कैसे बना राजा
डुगडुगी वाले का पांच साल का बच्चा
कलाबजिया खाता है
और गाता है
दिल्ली का लीला बाज़ार देखो
सत्ता का चलता व्यापार देखो
बापू की छाती पे ठुमके और गीत
राजा पर जूते का वार देखो
देखो देखो तमाशा देखो
...
तमाशेवाली लड़की
डंडे पर कसी रस्सी पर चढ़ जाती है
और चिल्लाती है
आज वो सब देखेंगे
जो कभी नहीं देखा
डुगडुगी वाला गाता है
माय नेम इस शीला
शीला की जवानी
...
भीड़ बढ़ने लगती है
बेकाबू बढ़ जाती है
तमाशा जोर पकड़ता है
लड़की ऊपर पहनी कोटी उतार फेकती है
और नीचे पहनी सलवार भी
भीड़ और पास खिसक आती है
लोग खुसुर-फुसुर करते है
डंडे में बंधी रस्सी तेजी से डोलती है
लड़की निचले वस्त्र में ऊँगली फसाती है
भीड़ और बढ़ जाती है
अचानक वो लड़की रस्सी से नीचे कूद जाती है
अपनी हथेलियों में मुह छुपाकर
जमीन पर गड जाती है
डुगडुगी वाला पैसे की गुहार लगाता है
कुछ शर्म बची हो तो
इस इज्जत के ही पैसे देदो
तुम इज्ज़त वालों को इज्ज़त का वास्ता
उसकी इज्ज़त तो खिलौना थी
दिखा दी
हमारे पास है क्या है
जो दिखा सकू
और रोटी खा सकू
इसे भी खिलाना है
खिलाकर इसकी इज्ज़त के लिए
इसकी जान बचाना है
कही और जो दिखाना है
तुम्हारी तो बोटी है हमारी जिन्दगी..
हमारी तो यही है
लड़की भी
इज्जत भी
रोटी भी
जिन्दगी भी
हे राम ..
-कुश्वंश
कुछ शर्म बची हो तो---
जवाब देंहटाएंइस इज्जत के
ही पैसे देदो
jabardast
kaafi gahri anubhutiyon ki abhivyakti
जवाब देंहटाएंगहन भावों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंउफ़्…………निशब्द कर दिया।
जवाब देंहटाएंदिल को चीर देने वाली रचना...
जवाब देंहटाएंउफ़...क्या कहूँ...
तुम्हारी तो बोटी है हमारी जिन्दगी..
जवाब देंहटाएंहमारी तो यही है
लड़की भी
इज्जत भी
रोटी भी
जिन्दगी भी
हे राम ..
झकझोर देने वाली रचना....
गरीब के मन की , व्यथित कर देने वाली व्यथा...क्या कहूँ ....
जवाब देंहटाएंनमन है आपकी लेखनी को।
तुम्हारी तो बोटी है हमारी जिन्दगी..
जवाब देंहटाएंहमारी तो यही है
लड़की भी
इज्जत भी
रोटी भी
जिन्दगी भी
हे राम ..
ऊफ........
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
हमारी तो यही है
जवाब देंहटाएंलड़की भी
इज्जत भी
रोटी भी
जिन्दगी भी
so poignant.... beautiful depiction of poverty and hunger.
तमाशे के दो चेहरे
जवाब देंहटाएंएक मनोरंजन
दूसरा मजबूरी
दोनों की कड़ी बंटी हुई कविता
का अंत कहीं न कहीं याद दिला देता है की
'मजबूरी का नाम ही महात्मा गाँधी है '
बहुआयामी गहरी रचना के लिए बधाई
वाह..क्या खूब लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंnice..
जवाब देंहटाएंhttp://shayaridays.blogspot.com