महेश कुशवंश

4 जून 2011

फस गए बाबा ...

मैंने कहा था,
मदारियों के बीच का खेल
तुम्हे नहीं आता,
फस जाओगे,
पहले तो आगे-पीछे नाचेंगे,
समझेंगे तुम्हारा नांच,
फिर तुम्हे ही नचाएंगे,  
नही आती है तुम्हे कलाबाजी,
तो क्यों तम्बू गाडा ? 
गाडा ही था,
तो क्यों मदारियों के पास गए
सर्कस समझने ,
तुम ठहरे
अध्यात्मिक गुरु
योग से विकारों को दूर करना
तुम्हे बखूबी आता है,  
दाव-पेच तुमने कहाँ सीख  पाए होंगे,
राजनयिकों सी अगवानी से
कितने गदगद हुए थे तुम,
तुम्हे गदगद देखकर
वे तुम्हारी जटाओं में घुस गए,  
तुम नहीं देख पाए  
तुम्हारी जटाओं में उलझकर  
कोई ले रहा था भेद,
तुम आँखे मूंदे योग में मगन थे ,
तुम्हे क्या लगा था ?
तुमने जिसे  दीक्षा दी थी
उसे याद होगी,
अनुलोम -विलोम कितना भी सिखाओ,
ये विलोम  ही  जानते  है,
अनुलोम सिर्फ मौके पे अपनाते है,
सदियों से जिस पर
कुंडली मारे बैठे हों
कई सांप , 
उसे क्यों छूने  की हिम्मत की  तुमने,
की भी  तो ,
कैसे बच सकते हो फुंफकार  से , 
इतना आसान  समझा था
साप की केचुल निकलना,
अन्ना राजनीतिज्ञ नहीं,
लेकिन सानिध्य में रहे हैं,
जानते है ,
कैसे करवट लेता है सांप ,
तुम्हे आगाह किया था,
तुम नहीं समझे,
तुमने सच को
चाहे जितना सच कहा हो
बना दिए गए  झूठ,
और तौल दिया तुम्हे
जंग लगी तराजू में,
जिसमे तौलते आये  है
न जाने किस-किस को,  
एक आन्दोलन
उलझ गया वादों में,
दूसरा
छिपे हुए इरादों में,  
तुम उठ खड़े हुए
तुम्हे उठने दिया ,
तुम इतना उठ गए
जहा से वापस आने का कोई रास्ता नहीं था,
तुम्हे सहारा देकर टांग दिया हवा में,  
ताकि तुम टंगे रहो वहीं
और खाते रहो कलाबाजियां
अब न कोई अन्ना,
न कोई बाबा,
किसी कृष्ण को आना होगा,
इस अधर्म के कुरछेत्र में,
धनुर्धर अर्जुन को तुम्हें
फिर विराट रूप दिखाना होगा,
अंधे धृतरास्त्र  को निर् वंश    कर
एक बार फिर
महाभारत रचाना होगा
कृष्ण तुम्हे एक बार फिर
आना होगा .

- कुश्वंश
  




16 टिप्‍पणियां:

  1. ये बाबा सुनते ही किसकी हैं जो आपकी सुनेंगे.

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  2. बहुत ही बढ़िया,मजा आ गया, खैर सरकार ने खतरा उठाया है बाबा पर हाथ डालकर,आगे देखिये क्या होता है,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  3. बाबा ने दुश्मनों पर भरोसा कर लिया और धोखा खा गए। जिसका काम ही है डसना , वो तो डसेगा ही। सरकार की करतूतों से मन आज बेहद खिन्न है। जो उम्मीद बंधी थी , वो टूट गयी है।

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  4. आपकी भविष्यणाणी सच साबित हुई।
    बाबा धूर्त मदारियों की जाल में फंस गए। देश का दुर्भाग्य है यह।

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  5. किसी कृष्ण को आना होगा,
    इस अधर्म के कुरछेत्र में.....
    very true corruption is now imbibed in our genetic code and to remove that we really need next incarnation of lord.

    Nice post.

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  6. आप की बातों से सहमत हूँ....

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  7. बहुत बढ़िया........बाबा ने दुश्मनों पर भरोसा कर लिया और धोखा खा गए।

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  8. bilkul sach kaha aapne baba kahan chakker main pade gaye.inki siyassi chaalon ko samajhnaa aapke bas ki baat nahi hai.aap yog karaten hain ye bhog karate hain .inki aapki kya barabri.bahut hi saarthak lekh.badhaai sweekaren.


    please visit my blog.thanks

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  9. netaon ko "saanp" bataya, dil ko bahut hi shanti mili, ek dam sahi chitran hai!... lekin baba ka apmaan kiya hai in sanpolon ne, inko iska khamiyaja bhugatna padega!

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  10. सरकार को रहा था खल ||
    कानूनी दांव-पेंच और
    कपिल-सिब्बल ||
    आंसू-गैस, डंडे और
    पुलिस-बल ||
    दोनों ने मिलकर
    रामलीला मैदान पर
    भक्तों को बुला दिया हल ||
    बड़े-बुजुर्ग महिलायें और
    बच्चे
    गए कुचल ||
    लगा दी आग,
    शिविर गए जल ||
    पर,
    जलेगी पापियों की लंका |
    देश गया जाग,
    बजेगा, सदाचार का डंका ||
    फिलहाल,
    जीत गई सरकार |
    जय हो भ्रष्टाचार ||

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  11. पी एम को सबसे प्यारा बस |
    है टालमटोल सहारा बस |
    चाक़ू को चाक़ू कहते हैं |
    चमचे को चमचा कहते हैं |
    साथ सत्य के रहते हैं |
    सुख दुःख सब मिलकर सहते हैं
    धरा के संग न बहते हैं--
    इतना ही दोष हमारा बस
    पी एम को सबसे प्यारा बस |
    है टालमटोल सहारा बस ||
    अपनी झपकी से सावधान |
    गीदड़ भभकी से सावधान |
    उस चमगीदड़ से सावधान |
    चमचा गीदड़ से सावधान ||
    कौओं के सम्मुख जाता यह |
    पक्षी की जात बताता है |
    जब अपने पंख हिलाता यह |
    दूध - मलाई पाता है --
    ढीला कर देता नारा बस
    पी एम को सबसे प्यारा बस |
    है टालमटोल सहारा बस |
    यह पास हमारे आएगा |
    हीं-हीं कर दाँत दिखाएगा |
    सँगी-साथी कहलायेगा |
    गलबहियाँ डाल दिखाएगा |
    नारा दमदार लगाएगा
    अपनी औकात बतायेगा--
    जब चले न कोई चारा बस
    पी एम को सबसे प्यारा बस |
    है टालमटोल सहारा बस |

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  12. बहुत ही बढ़िया.. अच्छा लगा पढ़ कर !
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - स्त्री अज्ञानी ?

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  13. बहुत अच्छे कुश्वंश जी
    बाबा की बात के साथ
    व्यंग्य में और हकीकत में
    अंतर मिट जाने से जो खतरनाक स्थिति उत्पन्न हुई है
    उसे बड़ी निश्छलता और रसमयता से व्यक्त करती आपकी
    कविता में जागरण भी है और आनंद भी
    धन्यवाद सहित शुभकामनाएं

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  14. बहुत बहुत सही कहा आपने....

    क्या बाबा, क्या अन्ना कोई भी इन दोमुहें साँपों से बच न पाए...

    बहुत ही दुखद स्थिति है...

    कृष्ण कब आयेंगे....अब तो उन्ही की प्रतीक्षा है..

    इन कौरवों का नाश कोई कृष्ण जैसा व्यक्तित्व ही कर सकता है...

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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