तिनके हुए दरख़्त,
पिलपिले हुए शख्त ,
खुल गए स्कूल कागजों में
मिड डे खाकर हुए मस्त,
गेहू और गन्ने में
उगने लगी अफीम,
धनिया घर फ़ैल गयी
दूरदर्शन थीम ,
हरिया और सुखिया की
ढह गयी दीवार,
गलियों में फ़ैल गया
छज्जे का प्यार ,
घर घर में
गलियों में
बेढंगे ढंग,
चौकी में आ गए
चुलबुल दबंग,
बुलबुल को घेर लिया
बैठाया घर में ,
घरवाले भाग गए
पीने शहर में ,
न जाने कौन सा
होगा अब हाल,
बहुए मनायेंगी
सास बिना ससुराल,
झींगुर को बुढ़ापे में
चढ़ गया ताप,
चीख रहा गलियों में
बुड्ढा होगा तेरा बाप...
ऐसे ही जिनमे है
सामर्थ दिशा देने की,
संस्कृति की, मूल्यों की
ताकत है सजोने की,
प्रश्न है ?
इन भटकों को
रास्ता दिखाए कौन,
आप ,
हम ,
या कोई नहीं,
हम ,
या कोई नहीं,
सब मौन
बस मौन ...
- कुश्वंश
सही कटाक्ष
जवाब देंहटाएंआजकल के हालातों पर सही कटाक्ष| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंsarv pratham mere blog par aane ke liye haardik dhanyavaad.aapki itni laajabaab kavita padhne ko mili.samaaj ki badhti hui kureetiyon par bahut achcha kataksh kiya hai aabhar.
जवाब देंहटाएंसटीक अभिव्यक्ति..... प्रासंगिक भाव
जवाब देंहटाएंraasta raha kiske paas ... sab thahar gaye hain ek talaash me
जवाब देंहटाएंसब मौन
जवाब देंहटाएंबस मौन ...
भावमय करते शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
आज तो आपने सारे सीरियलों की कलई खोल दी।
जवाब देंहटाएंसही सवाल उठाया है । इस छज्जे के प्यार ने समाज की सारी व्यवस्था को झंझोड़ कर रख दिया है । आम लोगों पर फिल्मों का असर भी दिखाई दे रहा है ।
जवाब देंहटाएंकभी कभी सोचता हूँ यदि सभी सिर्फ प्यार करने लगें , और कुछ न करें तो देश कैसे बचेगा ।
बहुत दिलचस्प .... बहुत रोचक ....
जवाब देंहटाएंगलियों में फ़ैल गया
जवाब देंहटाएंछज्जे का प्यार ,
अच्छी पकड़ है आपकी ....
बधाई ...!!
बहुत सुंदर सार्थक कविता,
जवाब देंहटाएंबधाई विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत ही सार्थक प्रश्न है ...आज नहीं तो कल , कोई न कोई तो अवतरित होगा ही इस धरा पर , इन विसंगतियों से लड़ने के लिए।
जवाब देंहटाएंbeautiful sarcasm !!!
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