नेताजी
मंच से दहाड़े
कौन है माई का लाल
जो हम और
हमारी जनता के बीच में आये
पांच साल पहले
तुम्ही हमको सर पे बिठाए थे
हम का कहे थे
बहुत भूंखे है हम
तुम्हारे कंधो पे चढ़ के जायेगे
पहले अपनी भूंख मिटायेंगे
तभी तो तुम्हारा पेट भर पाएंगे
और अब नहीं रही कोई भूख
हमरा पेट अब
मुह तक भरा है
का करे ससुर..
बड़ा अफरा लगा है
इन पांच साल
अपने कुनबा के लिए बहुत किये
अब आपके लिए करेंगे
भगवान् कसम
आपका घर भरेंगे
सच्ची ..!
अब आपकी बारी है
आपको उठाने की
पूरी तैयारी है
किसी और को जिताओगे
फिर मुह की खाओगे
वो भी हमारी तरह
भूंखा है
नंगा है
पहले खुद खायेगा
फिर तुम्हे खिलायेगा
हम तो सत्यवादी है
सच बोल दिए
तुम्हारे आगे
अपना चिट्ठा खोल दिए
तुम तो समझदार हो,
समझ ही जाओगे
अगर चाहते हो परगति
तो
उस नंगे को भूल जाओ
और एक बार फिर
हमही को जिताओ
हमही को जिताओ .........
-कुश्वंश
अपने कुनबा के लिए बहुत किये
जवाब देंहटाएंअब आपके लिए करेंगे
भगवान् कसम
आपका घर भरेंगे
सच्ची ..!
सटीक और तीखा व्यंग.... देश के हालत यही हैं... इनका पेट फिर से खाली हो जाता है...
हम तो सत्यवादी है
जवाब देंहटाएंसच बोल दिए
तुम्हारे आगे
अपना चिट्ठा खोल दिए
तुम तो समझदार हो,
समझ ही जाओगे
अगर चाहते हो परगति
तो
उस नंगे को भूल जाओ
और एक बार फिर
हमही को जिताओ
हमही को जिताओ ... waah, kataksh gahra hai
उस नंगे को भूल जाओ
जवाब देंहटाएंऔर एक बार फिर
हमही को जिताओ
हमही को जिताओ
वाह, क्या बात है विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अब आपकी बारी है
जवाब देंहटाएंआपको उठाने की
पूरी तैयारी है
किसी और को जिताओगे
फिर मुह की खाओगे
वो भी हमारी तरह
भूंखा है
नंगा है
पहले खुद खायेगा
फिर तुम्हे खिलायेगा ....
Beautiful Satire Kushwansh ji.
.
वाह!!
जवाब देंहटाएंनेताजी की बात तो तार्किक है। बार बार नये भूखे को आजमाने में श्रम व धन क्यों खोया जाय।
शानदार तीखा व्यंग्य्…।
जवाब देंहटाएंA straight and strong satire on the pervasive political conditions !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व्यंग रचना ।
जवाब देंहटाएंकाम की बात कही है, एक नए अंदाज़ में ।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंbahutdamdaar
जवाब देंहटाएंprabhavshalli lekhan
aap bhi aaiye
aabhaar