सुनते हो
वहाँ अकेले क्यों बैठे हो ,
पेड़ो के झुरमुट में किसे तलासते हो ,
डूबते हुए सूरज को
नहीं देखना चाहिए,
तुम्ही कहते थे ना,
ये फ़ोन भी नहीं रख सकते साथ ,
किसी ने याद किया तो,
अरे कौन याद करेगा हमें,
तुम्हारे सिवा,
आओ ..
तुम भी यहाँ बैठो,
उस चिड़िया को देखो
कैसी गोल-गोल घूम रही है,
दाना चुगते
उसके दोनों बच्चे
घोसले से गिर गए,
वो चिडा
चोंच से
आक्रोश में खोद रहा है मिट्टी ,
कितना सूनसान लग रहा है
उसका घोसला,
अपने घर की तरह ,
कमाल करते हो प्रोफ़ेसर साहब
हर बात में अपना घर जोड़ते हो,
सूरज को क्या ?
अभी छिप जायेगा,
दिन भी,
कितना रुकेगा
अभी चला जायेगा ,
तुम्हें कौन समझाए,
कल दिन
फिर आयेगा,
सूरज
फिर उगेगा,
चिड़िया फिर घोसला बनाएगी,
कालांतर में
बच्चो को फिर दाना चुगाएगी,
जिन्दगी रूकती है क्या ?
हा.. रूकती है,
जैसे हमारी,
उस अभागी के बच्चे तो
घोसले से गिर गए,
हमारे तो
हमसे ही पंख लेकर उड़ गए,
अब तो कमबख्त हवा भी
उधर से नहीं आती,
अब ये तन्हाई भी तो
सही नहीं जाती,
कैसी बहकी सी बात करते हो
जिसका मतलब नहीं कोई
क्यों दहकी सी बात करते हो ?
जीवन के स्वर्णिम काल में भी तो हम
अकेले थे,
बच्चे तो फिलर थे
गैप भरने आये थे,
हमारी गोद में ,
तुम्हारे कन्धों पर
उम्मीद ही तो भरने आये थे,
सूरज गया तो क्या ?
वो देखो चाँद
उग रहा है,
और सारा घर नहा रहा है
दुधिया चांदनी से ,
हमारे हनीमून की तरह,
कैसे हो तुम
न ही इस पर कविता ही लिखते हो
और न ही ...
बच्चों की बात ही मानते हो
खुश रहने की
जैसे भी हो..
जहाँ भी हो ..
खुश रहो
बस..
खुश रहो .
-कुश्वंश
aapsi baat ... prakriti ka ehsaas
जवाब देंहटाएंवो देखो चाँद
उग रहा है,
और सारा घर नहा रहा है
दुधिया चांदनी से ,
हमारे हनीमून की तरह,
कैसे हो तुम
न ही इस पर कविता ही लिखते हो
और न ही ...
बच्चों की बात ही मानते हो
खुश रहने की
जैसे भी हो..
जहाँ भी हो ..
खुश रहो
बस..
खुश रहो... bahut achhi rachna
मन के भावों की सुंदर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंचुपके-चुपके दिले-बेताब दुआ मांगे है,
ये मुझे भी नहीं मालूम कि क्या मांगे है।
हमारे तो
जवाब देंहटाएंहमसे ही पंख लेकर उड़ गए,
अब तो कमबख्त हवा भी
उधर से नहीं आती,
अब ये तन्हाई भी तो
सही नहीं जाती,
मन के भावों को प्रवाहमयी रूप में लिखा है ... अच्छी प्रस्तुति
जिन्दगी रूकती है क्या ?...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, शुभकामनायें आपको !
सही कहा इंसान को हर हाल मे खुश रहना चाहिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
उस अभागी के बच्चे तो
जवाब देंहटाएंघोसले से गिर गए,
हमारे तो
हमसे ही पंख लेकर उड़ गए,
आज की तस्वीर पेश करती है आपकी प्रभावशाली रचना ।
किसकी बात करें-आपकी प्रस्तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्ददायक हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर!
जवाब देंहटाएंसाभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
हमारे तो
जवाब देंहटाएंहमसे ही पंख लेकर उड़ गए,
अब तो कमबख्त हवा भी
उधर से नहीं आती,
अब ये तन्हाई भी तो
सही नहीं जाती,
बहुत सुंदर ...मन की वेदना लिए मनोभाव
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
बेहद मर्मस्पर्शी रचना .....नि:शब्द कर गयी ......आभार !
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