महेश कुशवंश

11 मई 2011

बेटियां




मेरी दो साल की बेटी
झाड़ू की सीक से
स्कूटर को पीट रही थी
और बोलती जा रही थी
में..ले .. पापा.. को चोट लगाता है
उस समय मै
स्कूटर के  स्टैंड से लगी चोट पर
डेटोल लगा रहा था 
मेरी पत्नी मुझे चुपचाप 
कंधे से  थपथपा कर 
इस नन्ही भावुकता को  
दिखाना चाहती थी  
मैंने उसे गोद में उठा लिया 
उसकी आँखों में  
मोटे-मोटे आंशू थे  
मै वो आंशू  आज तक नहीं भूला
बेटी की आँखों में आंसू , 
विदाई पर भी नहीं थे 
इतने मोंटे   
सिसकती हुयी चल दी थी
माँ को  देखते हुए , 
मुड़-मुड़ कर     
तब...  
मोटे आंशू
मेरी आँखों  में थे  
जिन्हें मै रोकना चाह  रहा था  
बाहर आने से, 
बेटी ने देख लिया 
कार से भागती हुयी  आयी  और    
पोंछने लगी मेरे आंशू 
मेहदी सजी उंगलियों से
वो उंगलिया मेरे हृदय में  
आज भी बसी है  
चित्रकारी की तरह 
और मेरी बेटी  
मेरे जीवन में बसी है तुलिका की तरह  
जो हर पल छिड़कती है रंग 
इन्द्रधनुषी 
ये ठीक नहीं  
बेटियां कहा अपनी होती है ?
दिलों में  रहती है जो 
बेटियां सदा
अपनी होती है 
सदियों से  अपनी होती हैं
तुम  समझो तो ..... 

-कुश्वंश

19 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (12-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  2. मेरी बेटी
    मेरे जीवन में बसी है तुलिका की तरह
    जो हर पल छिड़कती है रंग
    इन्द्रधनुषी
    ये ठीक नहीं
    बेटियां कहा अपनी होती है ?
    दिलों में रहती है जो
    बेटियां सदा
    अपनी होती है
    सदियों से अपनी होती हैं
    तुम समझो तो .....main ise samajh rahi hun, royi hun khud aur ab meri beti

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  3. .

    क्या कहूँ कुश्वंश जी ,

    भावुक कर दिया इस रचना ने । दो दिन से वैसे ही पापा को बेहद याद कर रही हूँ । वे बहुत अकेला महसूस करते हैं वहां। उनके जन्म दिन पर सुबह दो-चार फोन उनके बच्चों के आ गए होंगे ...फिर ? ...फिर वही तन्हाई ....क्या कोई शोर गुल हुआ होगा ?...कोई पकवान बना होगा । किसी ने उनके मुह में मिठाई का टुकड़ा डाला होगा ? ...कुछ भी तो नहीं हुआ होगा....

    आपकी रचना में 'विदाई' के बारे में पढ़कर अपनी विदाई चलचित्र के समान सन्मुख उपस्थित हो गयी । कितना रोये थे पापा , अपनी बेटी से भी ज्यादा ।

    क्या लिखूं और...गला रुंध गया है ...

    .

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  4. खूबसूरत भावमय एहसास.....आभार

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  5. गहरे भाव लिये बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

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  6. बेटियां सदा
    अपनी होती है
    सदियों से अपनी होती हैं
    तुम समझो तो .....

    kitne sunder bhav sheje hain..... bahut achchi rachna

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  7. बेटियां कहा अपनी होती है ?
    दिलों में रहती है जो
    बेटियां सदा
    अपनी होती है
    सदियों से अपनी होती हैं
    तुम समझो तो .....

    बेहतरीन रचना कुश्वंश जी.....बधाई

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  8. मेरी आँखों में थे
    जिन्हें मै रोकना चाह रहा था
    बाहर आने से,
    बेटी ने देख लिया
    कार से भागती हुयी आयी और
    पोंछने लगी मेरे आंशू
    मेहदी सजी उंगलियों से
    वो उंगलिया मेरे हृदय में
    आज भी बसी है
    चित्रकारी की तरह ....ye rishta kuchh aesa hi hota hai....bahut sundar rachna hai aapki....dil me aaj fir ek ajib si yaade fir dastak de gai...papa...bidai or aanshu..jyda na keh paaungi main....

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  9. मार्मिक भावों की प्रभावी अभिव्यक्ति .......

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  10. इन्द्रधनुषी
    ये ठीक नहीं
    बेटियां कहा अपनी होती है ?
    दिलों में रहती है जो
    बेटियां सदा
    अपनी होती है
    सदियों से अपनी होती हैं
    तुम समझो तो .

    बेहद खूबसूरत और भावपूर्ण अभिव्यक्ति. एक सुंदर कृति. बधाई.

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  11. भाव पूर्ण रचना . दिल को छू लेने वाली भावनाएं .

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  12. बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...बेटियाँ सच ही मन में बसती हैं

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  13. मर्म भिंगो दिया आपने...

    सार्थक सुन्दर ...बहुत ही सुन्दर रचना...

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  14. मर्म को स्पर्श करती भावभीनी सार्थक रचना.....
    सादर....

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  15. अंदर तक भिगो हाई आपकी रचना और दिल के भाव ... सच है बेटियाँ ऐसी ही होती हैं ...

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  16. दिलों में रहती है जो
    बेटियां सदा
    अपनी होती है
    सदियों से अपनी होती हैं
    तुम समझो तो .....

    हरेक माता पिता के दिल की आवाज़ कितनी भावप्रवणता से प्रस्तुत की है..आँखें नाम कर दीं..बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..

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  17. बेटियां सदा
    अपनी होती है
    सदियों से अपनी होती हैं
    तुम समझो तो .....
    sach to yahi hai.

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  18. बहुत अच्छी रचना.. गहरे भाव लिये बेहतरीन अभिव्‍यक्ति.... भावुक कर गईं......

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  19. बेटियां सदा
    अपनी होती है
    सदियों से अपनी होती हैं
    तुम समझो तो .....
    main bhi yahi samajhti hoon......bhawbhini kavita.

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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