महेश कुशवंश

12 अप्रैल 2011

एक और महाभारत

उठो जागो
ये जागने का समय है
तुम्हारी जरूरत है
माँ को
भारत माँ को 
एक बार फिर  सर पे कफ़न बाँधने 
का आवाहन है  
और ये आवाहन  
किन्ही  अंग्रेजो के लिए नहीं 
अपनों के लिए है 
अपनी धमनियों में दौड़ रहे 
रक्त से है  
स्वकेंद्रित मस्तिस्क से है 
उन तंत्रिकाओ से है  
जो गलत सन्देश प्रवाहित करती है  
बिना मस्तिस्क के आदेश के  
और इसके लिए 
बाई-पास  हो या ट्रांसप्लांट
हृदय बदलना होगा 
और जिनका हृदय न बदले 
उसे छोड़ देना होगा
प्राकृतिक हृदयाघात के लिए  
अर्जुन को  देखनी होगी 
मछली की आँख 
बिना  चक्र देखे 
बिना उस सभा को देखे  
जिसे अर्जुन   के 
स्वयंबर  जीतने का विस्वास ही नहीं था 
और उन्हें  भी
जिन्हें अर्जुन जीते या हारे 
कोई फर्क नहीं पड़ता 
लेकिन जो  
समझते है पड़ता है फर्क  
वो इस महाभारत में  
आ डटे है  कुरुछेत्र में
कौरवों ने भी
खीच ली है प्रत्यांच्यें
ख़त्म हो गया है  
धर्मावतारों का भी  अग्यात्वास 
ये धर्मयुद्ध नहीं  
कर्मयुद्ध है  
भीष्म को भी 
होना होगा हमारे साथ 
इस महाभारत को 
एक बार फिर जीतना होगा 
कौरवो को फिर हारना होगा 
हारना ही होगा.... 

-कुश्वंश



   

7 टिप्‍पणियां:

  1. भीष्म को भी
    होना होगा हमारे साथ
    इस महाभारत को
    एक बार फिर जीतना होगा
    कौरवो को फिर हारना होगा
    हारना ही होगा....

    बहुत सार्थक आह्वान ....अच्छी प्रस्तुति

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  2. इस महाभारत को
    एक बार फिर जीतना होगा
    कौरवो को फिर हारना होगा
    हारना ही होगा....krishn to hamesha saath rahenge to haar kahan !

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  3. इस महाभारत को
    एक बार फिर जीतना होगा
    कौरवो को फिर हारना होगा
    हारना ही होगा॥

    बहुत ही ओजमयी एवं प्रेरक पंक्तियाँ..

    .

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  4. samay ki pukar yahi hai ....
    sunder ahvan karti kavita .....!!

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  5. एक बार फिर जीतना होगा
    beautiful poem

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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