रेत सा
सूखा था मन
खेत सा
बंजर था तन
बैठ गए थे सपने सारे
कोने छिपके
सिमटे, सिकुड़े,
खुशियों की नज़रों से बचके
सात समुन्दर पार जा बसे
अपने थे जो
शायद अपने
अब तो धूमिल
मिलन की आस
हृदय जा बिधी
वफ़ा की फांश
उगने लगी कोपलें फिर से
कोमल निर्झर
ओस बिंदु सी
शीतल निर्मल
बुझी-बुझी सी
योवन की चिंगारी ने
फिर से क्यों
ले ली अंगडाई
मन को रंगने
तन को रंगने
क्यों ?
ये कैसी
फिर होली आयी
सूखा था मन
खेत सा
बंजर था तन
बैठ गए थे सपने सारे
कोने छिपके
सिमटे, सिकुड़े,
खुशियों की नज़रों से बचके
सात समुन्दर पार जा बसे
अपने थे जो
शायद अपने
अब तो धूमिल
मिलन की आस
हृदय जा बिधी
वफ़ा की फांश
उगने लगी कोपलें फिर से
कोमल निर्झर
ओस बिंदु सी
शीतल निर्मल
बुझी-बुझी सी
योवन की चिंगारी ने
फिर से क्यों
ले ली अंगडाई
मन को रंगने
तन को रंगने
क्यों ?
ये कैसी
फिर होली आयी
-kushwansh
( होली के रंग आप सब के दिलों में
खुशियों के रंग भर दें इन्ही शुभकामनाओ
सहित आपका कुश्वंश)
( होली के रंग आप सब के दिलों में
खुशियों के रंग भर दें इन्ही शुभकामनाओ
सहित आपका कुश्वंश)
अतिसुंदर रंगमयी रसपूर्ण रचना.होली के शुभावसर पर हार्दिक शुभ कामनाएँ.
जवाब देंहटाएंholi to kai rang liye aati hai , jab jo rang bha jaye , per rangon ko thukrana nahi hai... shubhkamnayen
जवाब देंहटाएंबेहद भावमयी रचना।होली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (19.03.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
बहुत बढ़िया ..... .भावपूर्ण प्रश्न .....होली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबेहद भावमयी रचना। होली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्द ...होली की शुभकामनाएं ।।
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना ....होली की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंये फागुन का मस्त महीना है
जवाब देंहटाएंसुरक्षित , शांतिपूर्ण और प्यार तथा उमंग में डूबी हुई होली की सतरंगी शुभकामनायें ।
होली की हार्दिक शुभकामनायें !
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