महेश कुशवंश

15 मार्च 2011

बौरायी होली













तुम मनाओ
होली

हम तुम्हारे
स्पर्श के रंग
सपनो में भरेंगे , 
बनायेंगे इन्द्रधनुष
सतरंगी रंगों के, 
संजोयेगे दूर तक
अंतर-आकाश,    
बूंद-बूंद
भीगेगा मन , 
पोर-पोर
सिहरेगा तन,
बरसेगा हवाओं में

स्नेह का गुलाल,
पीली  नारंगी 
मखमल  सी धूप
फिजाओं में बिखरेगा
रेशम सा रूप 
ऐसे ही बरसेगी
फगुनाई बोली
आयेगी योवन सी
बौरायी होली

-कुश्वंश



 


11 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक और भावप्रवण रचना।
    होली की अग्रिम शुभकामनाएं.

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  2. कई दिनों व्यस्त होने के कारण  ब्लॉग पर नहीं आ सका

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  3. होली के रंग और स्नेह के गुलाल...
    में रंगी सुंदर रचना ....

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  4. होली के रंगों में रंगे यह भावमय करते शब्‍द ...शुभकामनाएं ।

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  5. http://aatamchintanhamara.blogspot.com/2011/03/blog-post_16.html

    http://urvija.parikalpnaa.com/2011/03/blog-post_16.html

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  6. बहुत सुन्दर रचना ..होली की शुभकामनायें

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  7. बूंद-बूंद
    भीगेगा मन ,
    पोर-पोर
    सिहरेगा तन,
    बरसेगा हवाओं में

    hmm...quite romantic ....

    Happy Holi !

    .

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  8. बहुत सुन्दर रचना बधाई |होली के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं

    आशा

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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