तुम मनाओ
होली
हम तुम्हारे
स्पर्श के रंग
सपनो में भरेंगे ,
बनायेंगे इन्द्रधनुष
सतरंगी रंगों के,
संजोयेगे दूर तक
अंतर-आकाश,
बूंद-बूंद
भीगेगा मन ,
पोर-पोर
सिहरेगा तन,
बरसेगा हवाओं में
स्नेह का गुलाल,
पीली नारंगी
मखमल सी धूप
फिजाओं में बिखरेगा
रेशम सा रूप
ऐसे ही बरसेगी
फगुनाई बोली
आयेगी योवन सी
बौरायी होली
-कुश्वंश
सार्थक और भावप्रवण रचना।
जवाब देंहटाएंहोली की अग्रिम शुभकामनाएं.
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
जवाब देंहटाएंहोली के रंग और स्नेह के गुलाल...
जवाब देंहटाएंमें रंगी सुंदर रचना ....
jit dekhun tit laal... holi ki shubhkamnayen
जवाब देंहटाएंहोली के रंगों में रंगे यह भावमय करते शब्द ...शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंhttp://aatamchintanhamara.blogspot.com/2011/03/blog-post_16.html
जवाब देंहटाएंhttp://urvija.parikalpnaa.com/2011/03/blog-post_16.html
holi ki agrim shubhkamnayen...:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ..होली की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबूंद-बूंद
जवाब देंहटाएंभीगेगा मन ,
पोर-पोर
सिहरेगा तन,
बरसेगा हवाओं में
hmm...quite romantic ....
Happy Holi !
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बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना बधाई |होली के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंआशा