महेश कुशवंश

5 मार्च 2011

महिला दिवस














तुम मनाते रहो
महिला दिवस,
याद दिलाते रहो हमें 
हमारे निरीह होने का दर्द
महिलाएं  अभी भी उतनी
निरीह है क्या ?
जब चाहो  
पतिब्रता कहकर
एक अंधे पति की
आँख की पट्टी बना दो,
जब चाहो  
बना दो उसे
पांच पतियों की पांचाली, 
और  भरी सभा में
हार जाओ जुए में,
छोड़ दो नग्न होने के लिए
अपने ही भाईयो की जांघो पर
बैठने  के लिए , 
और चाहो तो
देवी मानकर
पूजने का करते रहो ढोंग,
प्राचीन संस्कृति की दुहाई देकर.
मगर मै,
सीना तान कर खडी,
कंधे से कन्धा मिलाती तुमसे 
एक दिवस की मोहताज़ नहीं,
दिवस मनाकर
तुम चाहे जितना
दिलाते रहो अहसास
इन्हें, उन्हें, सभी को   
तथाकथित देवी का,
मगर अब
कोई भ्रम नहीं
तुम्हारे इन प्रलापो से
हंसी आती है हमें,
वैलेंटाइन  डे, 
लिव इन सम्बन्ध,
और देर रात तक पब,
छोटे कपडे, 
बिंदास अदाएं, 
तुमे अहसास दिलाने को है,
संस्कृति हम भी
जानती  है,
और मनसा, वाषा, कर्मणा से  
जानो  तुम भी   
अब कोई  एक  दिवस नहीं
सभी  दिवस अपने होंगे 
चाहो तो
तुम  मनाओ अपना दिवस
महिला दिवस के दिन  
और देखो
खुली आँखों से,
तुम्हारे क़दमों से उठी
सबला  को
दहेज़ में जलकर भी जो
नहीं जली,
बलात्कार के बाद भी

नहीं गली,
देती रही निरंतर दस्तक 
तुम्हारी देहलीज़ पर
घूम कर देखो 
मुझे
मैं हूँ
तुमसे अधिक संवेदनशील 
तुमसे अधिक 
आतंरिक शक्ति से भरी
एक ताकतवर   
सिर्फ मै ही नहीं 
और भी है
तुम्हारी राह में  
तुम्हे चुनौती देने.

-कुश्वंश   

8 टिप्‍पणियां:

  1. naari ki adhbhut shakti-v -vilaxhanta ka sashakt chitran.
    waqai aaj ki naari abla nahi rahi balkikandhe se kandha milakar purush ke saath har rah par chal padi hai .ab vah kisi ke sahaare ki mohtaaj nahi
    rahi.
    bahut bahut bdhiya lagi aapki prastuti aur nisandeh aapke naari ke prati vichar bhi .
    bahut hi utkrisht rachna----
    badhai-v dhanyvaad sahit ----
    poonam

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  2. नारी शक्ति का बहुत सशक्त चित्रण..आज की नारी के मनोविज्ञान को चित्रण करने का बहुत सुन्दर प्रयास..आपकी रचना ने निशब्द कर दिया..

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  3. बदलते दौर में नारी के विचारों में आये बदलाव को प्रस्तुत करती सशक्त कविता

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  4. आपकी कलम से एक और सार्थक रचना। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. एक सामयिक और विचारोत्तेजक रचना.

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  6. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (7-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  7. एक सशक्त रचना |बधाई
    आशा

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आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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