तिनके- तिनके जोड़कर
एक घर बनाया है,
चाँद तारे तोड़कर
सपना सजाया है,
सूर्य की परछाईया
फ़ैली है छत पर,
बादलों ने उम्मीद का
मौसम जगाया है,
कल तलक
आगोश से भी, दूर थी
पुर्वाईयाँ,
बहकी हवाए,
दे रही थी
प्यार की तन्हाईयाँ ,
कुछ कहने के ,
कुछ सुनने के,
शब्द भी बाकी न थे,
रेत से सम्बन्ध बिखरे
दर्द भी शाकी न थे,
ऐसे-में, देहरी लांघकर
देने चली दस्तक फिजा,
गीत गाने को मचलती
फागुनी, पछुवा हवा,
कौन है जो
रक्त में श्रृंगार रस
भरने चला,
कौन है जो मर्म में
मनुहार रस भरने चला,
तुम बताना,
मैं नहीं खोलूगा ऑंखें,
बंद ही रक्खूगा अब
डर रहा हूँ
उन्माद के पल
स्वप्न न हो जाये सब.
-कुश्वंश
सुन्दर और भावपूर्ण कविता के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंमैं नहीं खोलूगा ऑंखें,
जवाब देंहटाएंबंद ही रक्खूगा अब
डर रहा हूँ
उन्माद के पल
स्वप्न न हो जाये सब.
मन के भावों का सुन्दर चित्रण। शुभकामनायें।
ओह....अद्वितीय !!!
जवाब देंहटाएंशब्द भाव प्रवाह सब ह्रदयहारी...मनोहर...
बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर रचना....
कुछ कहने के ,
जवाब देंहटाएंकुछ सुनने के,
शब्द भी बाकी न थे,
रेत से सम्बन्ध बिखरे
दर्द भी शाकी न थे,
कमाल की रचना ....संवेदनशील पंक्तियाँ..... मन के गहरे भाव लिए ......
संवेदनशील ,भावपूर्ण, सुंदर रचना ! शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंआपकी नज़्म की रवानगी,क्या कहिये.
जवाब देंहटाएंनज़म अगर बिना रुके चलती रहे तो कामयाब है.
आपकी कलम को सलाम.
अच्छी लगी आपकी ये कविता और अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर.
जवाब देंहटाएंफागुनी, पछुवा हवा,
जवाब देंहटाएंकौन है जो
रक्त में श्रृंगार रस
भरने चला....
बहुत खूब ....
अच्छी अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंमैं नहीं खोलूगा ऑंखें,
जवाब देंहटाएंबंद ही रक्खूगा अब
डर रहा हूँ
उन्माद के पल
स्वप्न न हो जाये सब.
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कभी कभी ऐसे ही कुछ डर मेरे भी जेहन में आते रहते हैं । जो रोकते हैं कुछ कहने से और पलकों कों जोर से भींचे रखने की हिदायत भी देते हैं ।
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प्रिय बंधुवर कुश्वंश जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
कल तलक
आगोश से भी दूर थी
पुरवाइयां
बहकी हवाएं
दे रही थीं
प्यार की तन्हाइयां
क्या बात है !
कौन है जो
रक्त में श्रृंगार रस
भरने चला
कौन है जो मर्म में
मनुहार रस भरने चला
आहाऽऽहा … ! क्या सुंदर प्रवाह है भाषा का …
तुम बताना,
मैं नहीं खोलूगा आंखें,
बंद ही रक्खूंगा अब
डर रहा हूं
उन्माद के पल
स्वप्न न हो जाये सब …
सुंदर सुरुचिपूर्ण रचना के लिए बधाई ! मंगलकामनाएं !!
महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार