तुमने देखी है
उन आँखों की चमक
जो कूड़े में खोज लेते है
चने के दाने
चबाता नहीं है वो
हलाकि भूंख उसकी बड़ी है फिर भी,
बड़े जतन से उन्हें
अन्दर की जेब में छिपा लेता है
क्यों ?
उसकी अंधी माँ की भूख,
उसकी विधवा, बीमार बहन की लाचारी,
उसकी भूंख से बड़ी है
और शेट्टी ..
कोई खाने की चीज
बीनने ही कहा देता उसे,
मगर वो
ना शेट्टी से डरता है,
ना उस खाज वाले कुत्ते से,
वो डरता है तो
पेट के अन्दर बसी भूख से,
वो ढूढता है अन्डो के छिलकों में भी
पेट की आस,
दोने में चिपकी, बची-खुची मिठाई,
और ताकता है,
हमारे घर को बड़ी हसरतो से
कल यही से मिली थी उसे,
एक सूखी रोटी ,
जिसे उसने सहेज कर रख लिया था
माँ के लिए,
और माँ ने उसे रोगी बहन को खिला दिया था
दवा की तरह ,
माँ की आँखों में
अश्रु-बिन्दु सा बहा था ढेर सा आशीर्वाद ,
पेट तो उसका ना जाने कब से
नहीं भरा था,
आशीर्वाद से उसका मन भर गया,
बहुत दिनों के लिए ...
और फिर वो चल पड़ा था
रोजी रोटी की ओर
हमारे, तुम्हारे, उसके, घर
-कुश्वंश
Bahut sateek varnan kiya hai apne...
जवाब देंहटाएंप्रणाम आपके सोच को, लाजवाब रचा है आपने दिल के जज्बातों को ।
जवाब देंहटाएं