शब्द सारे हुए चुप
प्रश्न सब बौने हुए
उत्तरों की बात उनसे कब करे, कैसे करे
चांदनी से लग रहा डर
धूप भी आयी ना घर
बिछ गयी सडको पे सुर्खी
बूँद से क्यों आग भड़की
रास्ते सकरे हुए सब
उम्र से बिफरे हुए सब
जन्म का बदला चुकाते
कालिमा में मुस्कराते
भीड़ सूनी सी लगे
शाम दर दूनी लगे
छोड़ आये बहुत पहले जो शहर
गाव में क्यों आज टूटा
वो कहर
संस्कृती , सभ्यता और सौम्यता
सब कौन है ?
बलात्कार के बाद भी
सब मौन है......
सब मौन है ......
-कुश्वंश
वास्तब में हम गूंगे है | मार्मिक अभिव्यक्ति, बधाई
जवाब देंहटाएंतस्वीर और रचना दोनों दिल को छूने वाली। सच में हम मौन ही हैं।
जवाब देंहटाएंhridayasparshi rachana
जवाब देंहटाएंअत्यंत मर्मस्पर्शी और हृदयविदारक रचना ! साधुवाद !
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.