मन करता है
पलकों में संचित कुछ सपने
आज समर्पित कर लेने दो
मन करता है
मखमल मखमल,
स्वप्न हवाए
रेशम धागे ,
केश घटाए,
उमड़ घुमड़ कर
प्रेम फुहारे
झर लेने दो
मन करता है,
आस-प्यास से व्याकुल पंछी
पंख उठाये
दूर चाँद का सफ़र
मयस्सर कर लेने दो
मन करता है
-कुश्वंश
(चित्र साभार)
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-कुश्वंश