महेश कुशवंश

30 जनवरी 2011

बेईमान सपने



कुछ सपने
सच्चे होते है
कुछ सपने अच्छे होते है
मगर ये अटल सत्य है
सब सपने सपने होते है
यथार्थ के धरातल पर
बेईमान
हवाओ में बिखरे
मोतियों से लगने वाले
सपने हमें जीने का अंदाज
तो सिखा सकते है
मगर जीना तो हमें ही है
और हम सपनो से नहीं जी सकते
जीने के लिए चाहिए वर्तमान
और इस वर्तमान में
सपनो की  कोई अहमियत नहीं होती
सपनो को सच भी होना चाहिए 
हवा की तरह नहीं
जो दूसरो की तरफ देख कर पता चलती है 
आग की तरह होनी चाहिए 
जो दिखाई दे, 
दूर से
सिर्फ महसूस ही ना हो
हमें जलाये भी
क्योकि सपनो को सच बनाने के लिए
तपिश भी होनी चाहिए

- कुश्वंश

2 टिप्‍पणियां:

  1. आग की तरह होनी चाहिए
    जो दिखाई दे,
    दूर से
    सिर्फ महसूस ही ना हो
    हमें जलाये भी
    क्योकि सपनो को सच बनाने के लिए
    तपिश भी होनी चाहिए
    सच कहा आपने। अच्छा सन्देश देती रचना। बधाई।

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  2. सपने हों तो मगर धरातल से उनकी नाभि -नाल जुडी हो .....
    अच्छी कविता !

    जवाब देंहटाएं

आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

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