कल वे बोले
हमें ना छेड़ो
मै अकेला नहीं
जायेगे तो कोई नहीं बचेगा
हमसे डरो
हम एस डी ऍम को भी जला देते है
वयवस्था को फूक देंगे
सूखी पेड़ की पत्तिया नहीं है हम
ना ही आज की उगती हुई कोपले
हम है बरगद से फैले हुए तने
समुद्र में मीलो बहते हुए पानी
हिरोशिमा से बम
हमसे कैसे लड़ सकते हो तुम
लड़ने का जज्बा ही नहीं है तुममे
गाल बजाते रहो
सरकारे बदल डालो
हमें नहीं बदल पाओगे
जो हमसे लड़ने का दम भर रहे है
उनके सरीर में पसीने ही बू
सूंघ लेना जरा
तुम्हे उनके लड़ने का जज्बा
अपने आप समझ आ जायेगा
स्विस क्यों जाते हो
पहले घर ख्गालो
शीला की जवानी तो पहचान नहीं पाए
उन्हें पहचानने का दम भरते हो
देखा एक को पहचाना था
फुर्र हो गयी जरा से देर में पहचान
अब तुमे क्या मिला ठेंगा
तुम्हारी समझ में नहीं आता या
ना समझने के ढोंग
करते चले आ रहे हो
सदियों से.
गाल में हवा भर के मत बजाओ
दोस्तों तुम्ही आओ
हाथ से हाथ बंधो
मुक्का बनाओ
घर बचाओ.........
घर बचाओ .
-कुश्वंश
हमें ना छेड़ो
मै अकेला नहीं
जायेगे तो कोई नहीं बचेगा
हमसे डरो
हम एस डी ऍम को भी जला देते है
वयवस्था को फूक देंगे
सूखी पेड़ की पत्तिया नहीं है हम
ना ही आज की उगती हुई कोपले
हम है बरगद से फैले हुए तने
समुद्र में मीलो बहते हुए पानी
हिरोशिमा से बम
हमसे कैसे लड़ सकते हो तुम
लड़ने का जज्बा ही नहीं है तुममे
गाल बजाते रहो
सरकारे बदल डालो
हमें नहीं बदल पाओगे
जो हमसे लड़ने का दम भर रहे है
उनके सरीर में पसीने ही बू
सूंघ लेना जरा
तुम्हे उनके लड़ने का जज्बा
अपने आप समझ आ जायेगा
स्विस क्यों जाते हो
पहले घर ख्गालो
शीला की जवानी तो पहचान नहीं पाए
उन्हें पहचानने का दम भरते हो
देखा एक को पहचाना था
फुर्र हो गयी जरा से देर में पहचान
अब तुमे क्या मिला ठेंगा
तुम्हारी समझ में नहीं आता या
ना समझने के ढोंग
करते चले आ रहे हो
सदियों से.
गाल में हवा भर के मत बजाओ
दोस्तों तुम्ही आओ
हाथ से हाथ बंधो
मुक्का बनाओ
घर बचाओ.........
घर बचाओ .
-कुश्वंश
अज माफिया के रण्ग देख कर शायद हिरोशिमा के बम भी शर्मा जायें। लेकिन घर कौन बचाये य़ प्रश्न है शायद कभी कोई मसीहा आये। इस रचना के लिये आभार।
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