महेश कुशवंश

26 जनवरी 2011

जय हिंद

इन्कलाब-जिंदाबाद,
२६ जनवरी जिंदाबाद,
भारत माता की जय,
जय- जवान जय किसान,
वन्दे मातरम,
देश भर में गूंजेगे आज
यही नारे, यही गाने,
हमारे गणतंत्र दिवस पर
राजपथ पर सलामी के साथ-साथ
दम ख़म भी देखायेगे हम
ये दुनिया वालो, हमें देखो  
हमारी ओर  देखो
हमारी बढती ताकत को देखो
हमारे फौलादी चट्टान से सीने को देखो
खून उतरती आँखों को देखो
इनमे तुम्हे दिखाई देगी
स्वाभिमान की चमक
अपनी अटूट सुरक्षा का,  अद्भुत दंभ
आर्थिक स्वाभिमान का नगीना
अब तुम्हे जो देखना है
उसे ना देख कर
इधर उधर झाकते हो
एक शरीर में बहुत से हिस्से ऐसे होते है
जो सब को नहीं दिखये जाते
कोई भी नहीं दिखाता,
तुम्हारी बात अलग है
तुम तो हम्माम में भी नंगे थे
और बाहर भी हम्माम जैसे ही.
हमारी संस्कृती इजाजत नहीं देती
दबी छिपी को  बातो को
अमर्यादित  ढंग से व्यक्त करने की
ये देश मेरा नहीं, हमारा है
और हम इसे शिखर तक ले जायेगे
तुम देखते रहना 
जय हिंद 
-कुश्वंश



4 टिप्‍पणियां:

  1. ये देश मेरा नहीं, हमारा है
    और हम इसे शिखर तक ले जायेगे
    तुम देखते रहना
    जय हिंद \बहुत अच्छी रचना देश प्रेम के लिये उसाह जगाती। गणतन्त्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  2. गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ... जय हिंद

    जवाब देंहटाएं
  3. सन्देश देती हुई सुंदर रचना ,बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ... जय हिंद

    जवाब देंहटाएं

आपके आने का धन्यवाद.आपके बेबाक उदगार कलम को शक्ति प्रदान करेंगे.
-कुश्वंश

हिंदी में